यूपी में अवनीश अवस्थी रह गए पीछे मौका मिलते ही नवनीत सहगल मार ले गए बाजी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फोटो शूट करा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ट्वीट का कलेवर भी धीरे-धीरे बदल रहा है। उत्तर प्रदेश काडर के 1988 बैच के आईएएस अधिकारी नवनीत सहगल के पास अब प्रमुख सचिव सूचना का अतिरिक्त प्रभार है। उनके साथ यह अतिरिक्त प्रभार मुख्यमंत्री के सचिव संजय प्रसाद के पास भी है। दोनों के पास यह प्रभार मुख्यमंत्री के विश्वस्त आईएएस अधिकारी अवनीश अवस्थी से लेकर दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने यह बड़ा प्रशासनिक बदलाव हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में यूपी सरकार की फजीहत के बाद किया है। यह भी गौर करने योग्य है कि नवनीत सहगल इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव के खासमखास रह चुके हैं। अखिलेश ने भी दो साल तक ठंडे बस्ते में रखने और सरकार की छवि खराब होने के बाद सहगल को कमान सौंपी थी।

नवनीत सहगल ने चार दिन पहले 13 अक्तूबर को ट्वीट किया कि यूपी सरकार आलू के जरिए किसानों की झोली भरेगी। उन्होंने पेप्सिको कंपनी के निवेश को लेकर यह ट्वीट किया है। सहगल का यह ट्वीट सत्ता पक्ष के ही कई विधायकों को रास नहीं आ रहा है। जौनपुर जिले के एक विधायक का कहना है कि उनके क्षेत्र में अधिकांश किसान मक्का, ज्वार, बाजरा, उड़द नहीं बो पाए। अब आलू की बुआई से डर रहे हैं। क्योंकि नील गाय, छुट्टा गौ वंश किसानों के लिए लगातार समस्या बने हुए हैं। इसलिए मुझे समझ में नहीं आता कि आलू की फसल से कैसे किसान अपनी झोली भरेगा।

बागपत में (बड़ौत) सूपगांव के रहने वाले डॉ. सुधीर तोमर का भी कहना है कि छुट्टा गौ वंश लगातार किसानों की मुसीबत बने हैं। मायावती की सरकार में मुख्यमंत्री सचिवालय में प्रभावशाली अफसर रहे पूर्व आईएएस अधिकारी का कहना है कि यह राज्य की सबसे बड़ी समस्या है। आज राज्य में कोई सबसे अधिक परेशान है तो वह किसान है। सूत्र का कहना है कि राज्य में राजनीति अधिक और प्रदेश के विकास का काम कम हो रहा है। इसका नतीजा सामने है।

यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का नवनीत सहगल पर काफी भरोसा रहा है। 2003 से पहले भी मुख्यमंत्री रहने के दौरान वह नवनीत सहगल पर भरोसा करती थीं। 2007 में जब मायावती फिर राज्य की पूर्ण बहुमत से मुख्यमंत्री बनीं तो नवनीत सहगल उनके करीब रहे। शशांक शेखर के बाद और विजय शंकर पांडे की चमक फीकी पड़ने के बाद पंचम तल (मुख्यमंत्री सचिवालय) में सबसे प्रभावी अफसर नवनीत सहगल ही थे। हालांकि 2012 के विधानसभा चुनाव में नवनीत सहगल मुख्यमंत्री मायावती की सत्ता में वापसी की राह नहीं बना पाए।

2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी। अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। गाज नवनीत सहगल पर गिरी। सहगल को राजस्व परिषद और धर्मार्थ कार्य विभाग जैसा महत्वहीन विभाग दे दिया गया, लेकिन सहगल ने यहां भी सुधार का अच्छा प्रयास किया। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रबंधन कला में माहिर नवनीत सहगल अपना विश्वास कायम रखकर अधिकारी की हनक बनाने का गुर अच्छी तरह जानते हैं।

नवनीत सहगल को दो साल तक इसी तरह एक महत्वहीन विभाग का कामकाज देखना पड़ा। लेकिन मुजफ्फरनगर का दंगा, दंगा पीड़ितों का पुनर्वास, सैफई महोत्व में सरकार की किरकिरी के बाद अखिलेश यादव को भी प्रमुख सचिव सूचना सदाकांत से यह विभाग लेकर नवनीत सहगल को इसकी जिम्मेदारी सौंपनी पड़ी।

अगले दो साल तक नवनीत सहगल ने प्रभावशाली अफसर की तरह कार्य किया। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का काम भी उनकी देख-रेख में हुआ। 18 नवंबर को उद्घाटन से ऐन पहले एक्सप्रेस-वे का मुआयना करके लखनऊ लौट रहे सहगल दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गए। सबकुछ किया, लेकिन तीन महीने बाद हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में आते ही जिन अफसरों को साइड लाइन किया, उनमें नवनीत सहगल भी थे। मायावती और अखिलेश के चहेते अफसर सहगल प्रतीक्षा सूची में डाल दिए गए। प्रमुख सचिव सूचना की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के भरोसेमंद अफसर अवनीश अवस्थी के कंधे पर आ गई।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने करीब ढाई साल के कामकाज के बाद नवनीत सहगल को प्रमुख दायित्व सौंपा है। राज्य के तीन मुख्यमंत्रियों को एक आईएएस अफसर के सिवा दूसरा संकट मोचक नहीं मिल पाया है। देखना है कि ढाई साल बाद 2022 में प्रस्तावित राज्य विधानसभा चुनाव में नवनीत सहगल क्या अपना रिकार्ड तोड़ पाते हैं?

यूपी सरकार की छवि को सुधारना उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है। राज्य सरकार के ऊपर भेदभाव के साथ काम करने, एक धर्म और एक विशेष जाति को बढ़ावा देने का आरोप लग रहा है। कानपुर, हाथरस, उन्नाव, बलिया, भदोही की घटनाओं ने इस तरह के आरोपों को काफी बल दिया है। राज्य में कानून-व्यवस्था का सवाल लगातार बड़ी चुनौती बना हुआ है। इसका सबसे ज्यादा असर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि पर पड़ रहा है।

 

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