यूपी, बिहार, दिल्ली और मध्यप्रदेश में आज करवा चौथ के दिन इस समय होगा चंद्रोदय

करवा चौथ 2018 में जानें चंद्रोदय का समय 

इस वर्ष करवा चौथ का पर्व शनिवार 27 अक्टूबर 2018 को पड़ रहा है। इस दिन करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त सांयकाल 05 बज कर 36 मिनट से 06 बज कर 54 मिनट तक रहेगा। वहीं चंद्रोदय का समय विभिन्न राज्यों में अलग अलग रहेगा। यहां बता रहे है पांच प्रमुख राज्यों के चंद्रोदय के समय। जहां उत्तर प्रदेश में चंद्रोदय रात्रि 08.04 बजे का है, तो दिल्ली में ये समय 08.14 का होगा। उसी प्रकार उज्जैन में 07.57, इंदौर में 08.09 आैर बिहार में 07.35 चंद्रोदय होगा। जिनके यहां उदित होते चंद्रमा की पूजा की जाती है वे स्त्रियां इसी समय चांद को अर्ध्य देंगी। जहां चंद्रमा के पूर्ण रूप से विकसित होने बाद पूजा की जाती है वो 15 से 20 मिनट बाद अर्ध्य दे सकती हैं।  करवा चौथ सौभाग्यवती महिलाआें का प्रमुख त्योहार माना जाता है, जो कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत सुबह सूर्योदय से पूर्व प्त 4 बजे प्रारंभ होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद पूर्ण होता है। किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की स्त्री को इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सुहागिन स्त्रियां अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। 

एेसे करें पूजन 

करवा चौथ की पूजा में भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन करने का विधान है। इसके लिए सर्वप्रथम बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर  सभी देवों को स्थापित करें। अब एक पटरे पर जल का लोटा रखें आैर बायना निकालने के लिए मिट्टी का करवा रखें। करवे के ढक्कन में चीनी व रुपये रखें। अब करवे आैर बायने पर रोली से स्वास्तिक बनायें। अब सुख सौभाग्य की कामना करते हुए इन देवों का स्मरण करें आैर करने सहित बायने पर जल, चावल आैर गुड़ चढ़ायें। अब करवे पर तेरह बार रोली से टीका करें आैर रोली चावल छिडकें। इसके बाद इसके बाद हाथ में तेरह दाने गेहूं लेकर करवा चौथ की व्रत कथा का श्रवण करें। अंत में करवे को प्रणाम करके बायना करवा सहित सास या परिवार की किसी बड़ी महिला देकर चरण स्पर्श कर आर्शिवाद ग्रहण करें। 

करवाचौथ व्रत की एक कम प्रचलित कथा 

वैसे करवाचौथ से जुड़ी कर्इ कथायें हैं पर उनमें से ये कथा अपेक्षाकृत कम प्रचलित कथा है। इस कथा के अनुसार एक समय की बात है कि करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गांव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया, जहां एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य करवा-करवा कह कर अपनी पत्नी को आवाज देने लगा। पति की करुण आवाज सुनकर करवा भागती हुर्इ नदी तट पर आर्इ आैर मगर को कच्चे धागे से बांध दिया। इसके बाद बंधे हुए मगर को लेकर यमराज के पास पहुंच गर्इ। उसने यमराज से कहा कि हे भगवन! इस मगर ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है, इसलिए आप उसे इस अपराध में अपने बल से नरक में ले जाओ। यमराज बोले अभी मगरमच्छ की आयु शेष है, अतः वे उसे नहीं मार सकते। इस पर करवा बोली, अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूँगी। यह सुनकर यमराज डर गए और उस पतिव्रता करवा के साथ आकर मगर को यमपुरी भेज दिया और पति को दीर्घायु दी। तभी से सुहागन स्त्रियां करवा चौथ का व्रत करती हैं आैर प्रार्थना करती हैं कि जैसे तुमने अपने पति की रक्षा की, वैसे सबके पतियों की रक्षा करना। आैर अपनी ही तरह चिर सुहागन का वरदान सब सुहागिनों को देना।

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