उत्तर प्रदेश सरकार अब पूरे प्रदेश में वक्फ बोर्ड की व्यावसायिक और आवासीय क्षेत्रों की जमीनों पर निर्माण कराएगी. वक्फ की इन जमीनों पर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर निर्माण कार्य कराया जाएगा. वक्फ की इन संपत्तियों को चिन्हित करने का काम सरकार ने शुरू कर दिया है.
प्रदेश सरकार वक्फ की इन जमीनों पर फ्लैट्स और दुकानें बनाकर उनकी बिक्री करेगी. बिक्री और किराये से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल मुस्लिम समाज के विकास के लिए किया जाएगा.
इस पूरी कार्ययोजना पर काम करने के लिए कई प्राइवेट बिज़नेसमैन से सरकार की बात चल रही है. पूरे प्रदेश के हर जिले में हजारों की संख्या में वक्फ की जमीनें हैं.
सरकार का आरोप है कि वक्फ की अधिकतर जमीनों पर अवैध कब्जा या गलत तरीके से व्यवसायीकरण किया गया है. प्रशासन का कहना है कि इन जमीनों से अवैध कब्जे हटाकर मुस्लिम समाज के हितों का काम किया जाएगा.
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड में हैरान करने वाला एक मामला सामने आया है. यूपी शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड की विशेष ऑडिट की फाइल चोरी होने से हड़कंप मच गया है.
इस मामले में एफआईआर भी दर्ज कराई जा चुकी है. जानकारी के मुताबिक यूपी अल्पसंख्यक कल्याण और वक्फ अनुभाग-2 से फाइल चोरी होने का मामला आया है. इस मामले में केस भी दर्ज करा दिया गया है. वक्फ बोर्ड अनुभाग अधिकारी ने हजरतगंज थाने में केस दर्ज कराया है.
शिया-सुन्नी बोर्ड की ऑडिट कराने वाली फाइल गायब हुई है. हालांकि फाइल ऐसे वक्त में गायब हुई है, जब सीबीआई जांच की सिफारिश योगी सरकार की ओर से की गई थी.
वहीं केस दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस भी इस मामले में सक्रिय हो गई है. हालांकि, अभी सीबीआई जांच शुरू होनी है. एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि सचिवालय प्रशासन विभाग की ओर से अल्पसंख्यक कल्याण और वक्फ का भी जीर्णोद्धार किया गया था और अधिकारियों और कर्मियों के लिए अलग-अलग स्थानों पर बैठने की व्यवस्था की गई थी.
इसके लिए फाइलों को बापू भवन की चौथी मंजिल से आठवीं मंजिल पर स्थानांतरित किया गया था. सूत्रों का कहना है कि जब वक्फ बोर्ड में अनियमितताओं के बारे में सीबीआई की सिफारिश की गई थी, तो कुछ महत्वपूर्ण पत्रों की तलाश शुरू हुई थी, जो गायब पाए गए थे.