यूपी की घोसी सीट से बीएसपी सांसद अतुल राय को एमपी एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उन्हें रेप और धोखाधड़ी मामले में बरी कर दिया गया है। अतुल राय 36 महीने से नैनी जेल में बंद हैं।
बीएसपी सांसद अतुल राय को वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने उन्हें रेप और धोखाधड़ी के आरोप से बरी कर दिया है। यह घटना 7 मार्च 2018 की है। अतुल राय पिछले 36 महीने से नैनी जेल में बंद हैं।
लड़की ने बताया था कि यूपी कालेज में पढ़ाई के दौरान अतुल राय से पहचान हुई। उसने आरोप लगाया था कि अतुल उसे अपनी पत्नी से मिलवाने की बात कह कर चितईपुर स्थित फ्लैट में ले गए। वहां उनकी पत्नी नहीं थीं। अतुल राय ने उसके साथ रेप किया। लड़की ने फोटो-वीडियो बनाने, ब्लैकमेल कर रेप करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया। 16 अगस्त 2021 को प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए लड़की और उसके दोस्त ने सु्प्रीम कोर्ट के सामने आत्मदाह कर लिया था।
36 महीने से नैनी जेल हैं अतुल राय
अतुल राय के खिलाफ रेप का मुकदमा 2019 से चल रहा था। वह 36 महीने से नैनी जेल में बंद हैं। रेप के साथ ही इस मामले में यह भी आरोप लगा था कि पीड़िता का वीडियो बनाकर उसे वायरल करने की धमकी भी दी गई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच एक मई 2019 को वाराणसी के लंका थाने में अतुल राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।
ग्रेजुएशन के दौरान हुई थी दोस्ती
रेप का आरोप लगाने वाली लड़की वाराणसी के यूपी कॉलेज से स्नातक करती थी। वह बलिया की रहने वाली थी। अतुल राय भी वहीं के हैं। लड़की ने बताया था कि दोनों के बीच वहीं पढ़ाई के दौरान दोस्ती हुई थी।
सरेंडर कर जेल गए थे अतुल राय
लंका पुलिस मुकदमा दर्ज कर अतुल की तलाश में जुटी थी। गिरफ्तारी से बचकर लोकसभा चुनाव जीतने के बाद 22 जून 2019 को अतुल ने वाराणसी की कोर्ट में सरेंडर कर दिया। उधर, 16 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट के सामने पीड़िता और गवाह सत्यम प्रकाश राय ने फेसबुक पर लाइव कर आत्मदाह कर लिया था।
मामले में बर्खास्त कर दिए गए थे सीओ
इस मामले में भेलूपुर सीओ अमरेश सिंह बघेल को बर्खास्त कर दिया गया था। आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर का भी नाम आया था। लंका थाने में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में दर्ज केस में जेल में हैं। वहीं, इसी प्रकरण में एक शिकायत पर लापरवाही में तत्कालीन कैंट इंस्पेक्टर राकेश सिंह और एक अन्य विवेचक सस्पेंड चल रहे हैं।