उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीएमआरसी) अपने घाटे को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार से मिलने वाली 86 एकड़ जमीन से अपनी स्थिति सुधारेगा। लखनऊ विकास प्राधिकरण से सीजी सिटी में जमीन मिलने के बाद जल्द ही मेट्रो एक कंसल्टेंट का चयन करने जा रहा है। कंसल्टेंट की मदद से जमीन के उपयोग को लेकर खाका खींचा जाएगा। उद्देश्य होगा कि जमीन के एक-एक इंच का उपयोग बेहतर तरीके से हो। यही नहीं आने वाले कई दशक तक लखनऊ मेट्रो और उसके कर्मियों को आर्थिक परेशानियों से जूझना न पड़े, उसके लिए एक बड़ी राशि का कारपस फंड बनाया जाएगा। उसका ब्याज जरूरत पड़ने पर मेट्रो में लगेगा।
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव अपनी टीम के साथ सीजी सिटी की जमीन का निरीक्षण कर चुके हैं। योजना देख रहे अफसरों ने बताया कि भविष्य को देखते हुए यह भूमि बहुत उपयोगी है। 86 एकड़ जमीन का उपयोग लखनऊ मेट्रो चरणबद्ध तरीके से करेगा। कुछ जमीन ऐसी रखी जाएगी, जिससे लखनऊ मेट्रो को हर माह करोड़ों रुपये किराए के रूप में मिले। इसके लिए एक सुविधाओं से युक्त कार्यालय खोलने की तैयारी है, जिससे सरकारी व गैर सरकारी एजेंसियां अपने कार्यालय खोल सकें। इससे मेट्रो को हर माह अच्छा किराया मिल सकेगा और एक निश्चित कमाई भी होगी। इसी तरह वाणिज्यिक उपयोग के लिए कामर्शियल हब बनाने की तैयारी है, जिसे बेचकर अरबों रुपये कारपस फंड में जमा किए जा सके।
मेट्रो संचालन के अलावा यूपीएमआरसी अपने सिविल कार्य के लिए भी जाना जाता है, इसके अलावा अभी तक जो तिथियां मेट्रो ने संचालन व निर्माण को लेकर निर्धारित की हैं, उसमें यूपीएमआरसी सफल भी रहा है। ऐसे में मेट्रो अपनी बेहतर कार्यप्रणाली को निवेशकों में भुनाएगा। मेट्रो जमीन का उपयोग चार भागों में कर सकता है। फिलहाल आधे से ज्यादा जमीन बचाकर रखी जाएगी, जिसका प्रयोग समय के साथ किया जाएगा। मेट्रो को अपने प्रोजेक्ट का खाका सीजी सिटी जमीन पर खींचने के लिए पैसों की जरूरत होगी, उसके लिए उसे बाजार से लोन लेना पड़ेगा और फिर उसे चुकाना होगा। इसलिए मेट्रो पुरानी योजना बनाकर अपना काम करेगा।