मार्क्सवाद में विश्वास रखने वाले चे ग्वेरा का जन्म अर्जेंटीना के रोसारियो में 14 जून 1928 को हुआ था। मिडिल क्लास परिवार में जन्मे गुवारा ने मेडिसिन की पढ़ाई करने से पहले दक्षिण अमेरिका के कई देशों में भ्रमण किया और वहां के हालातों को बेहद बारीकी से देखा। चे ग्वेरा खुद अस्थमा से पीड़ित थे, लेकिन अपनी इच्छा शक्ति और दृढ निश्चय के दम पर उन्होंने अपनी इस बीमारी से पीछा छुड़ाया। इसके लिए उन्होंने अपने को एक एथलीट की तरह ही ढाला। चे ग्वेरा अर्जेन्टीना के मार्क्सवादी क्रांतिकारी थे जिन्होंने क्यूबा की क्रांति में मुख्य भूमिका निभाई।
कास्त्रो से नजदीकी- इस दौरान कास्त्रो ने उन्हें यह भी बताया कि उनकी एक छोटी टुकड़ी क्यूबा में हर वक्त अपने मिशन के लिए काम करती रहती है। यह वह दौर था जब इन दोनों की सोच एक होने के चलते इनमें न सिर्फ नजदीकी बढ़ी बल्कि आगे चलकर गुवारा कास्त्रो सरकार में प्राइमरी एडवाइजर जैसे अहम पदों पर भी रहे। क्यूबा की बतिस्ता सरकार को उखाड़ फेंकने में उनका योगदान भी कोई कम नहीं था।
उग्र स्वभाव- वह बचपन से ही कुछ उग्र स्वभाव के रहे और राजनीति के प्रति उनका आकर्षण उम्र के साथ-साथ बढ़ता ही गया। लेकिन इसके चलते उनका परिवार से भी विवाद रहा और आखिर में उन्होंने अपने परिवार से रुष्ट होकर घर छोड़ दिया। यहां से ही उनके जीवन की कठिन लेकिन अहम यात्रा की शुरुआत भी हुई। अर्जेंटीना की जुआन पेरॉन की सरकार के खिलाफ उन्होंने एक ग्रुप ज्वाइन किया।
गुवारा थे क्रांति के समर्थक- मार्क्सवाद में विश्वास रखने वाले चे ग्वेरा क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो के काफी करीब थे। पेशे से डाक्टर रहे ग्वेरा की कास्त्रो से पहली बार मुलाकात मैक्सिको में हुई थी। कास्त्रो वहां अपने छोटे भाई राउल के साथ गौरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग लेने के लिए गए थे। दरअसल 1950 में कास्त्रो क्यूबा की तत्कालीन बतिस्ता सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते थे। इसके लिए वह एक असफल प्रयास कर चुके थे। इसके बाद ही उन्होंने सरकार के खिलाफ गौरिल्ला युद्ध छेड़ने का फैसला लिया था। इसके लिए ही वह मैक्सिको गए थे। केवल क्रांति के दम पर ही दक्षिण अमेरिका की हालत में सुधार आ सकता है। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पहले ग्वाटेमाला गए, जहां पर उन्होंने अपनी सोच के मुताबिक काम किया और वहां से सीआईए समर्थित लेफ्ट सरकार को उखाड़ फेंका। 1955 में उन्होंने विवाह किया और मैक्सिको में ही बस गए। कास्त्रो की सोच से वह काफी प्रभावित हुए। पहली मुलाकात के दौरान उन्हें कास्त्रो के मिशन का पता चला।