आज हम आपको असम के एक ऐसे स्कूल के बारे में बता रहे हैं जो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल है और इसके किस्से भी धीरे-धीरे मशहूर हो रहे हैं. यह स्कूल है ही सबसे अनोखा. इस अनोखे और असामान्य स्कूल की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां बच्चों से फीस के रूप में प्लास्टिक कचरा लिया जाता है. बस इसी कारण इसकी चर्चा हर और हो रही है. लेकिन ऐसा क्यों ? आइए जानते हैं इसके बारे में…

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 2013 में माजिन मुख्तार एक खास प्रोजेक्ट के तहत न्यूयॉर्क से भारत आए थे और उनके काम के सिलसिले में उनकी मुलाकात परमिता शर्मा से हुई थी. जो कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) में सामाजिक कार्य में परास्नातक की पढ़ाई कर रही थीं, अतः संयोग से वह भी शिक्षा क्षेत्र में काम करने की योजना में ही थी. दोनों ने बाद में सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हुए अक्षरा नाम का एक स्कूल शुरू किया, जो पारंपरिक शिक्षाविदों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच के अंतर की खाई को पाटने के लिए भी प्रतिबद्ध है. बातचीत में परमिता ने बताया कि हमने जून 2016 में स्कूल की स्थापना की और उनके मुताबिक, हम सभी के लिए एक मुफ्त स्कूल शुरू करना चाहते थे, लेकिन इस क्षेत्र में एक बड़ी सामाजिक और पारिस्थितिक समस्या के पनपने का अहसास होने के बाद हम दोनों इस विचार पर अड़ भी गए थे. उन्होंने आगे कहा किक्लासरूम हर बार जहरीले धुएं से भर जाते थे, ऐसा इसलिए क्योंकि आस-पास का कोई व्यक्ति प्लास्टिक जला देता था और वे इसमें बदलाव के पक्ष में थे. इसलिए उन्होंने अपने छात्रों को स्कूल की फीस के रूप में अपने प्लास्टिक कचरे को लाने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया था.
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