यमुना में ऑक्सीजन का स्तर घटने से बीते कुछ दिनों में लाखों की तादाद में मछलियां मर गई हैं। अन्य जलीय जीवों की जान भी खतरे में है। यमुना किनारे रहने वाले किसान और मछुआरे बताते हैं कि यमुना में केमिकल युक्त पानी छोड़े जाने से मछलियां मर रही हैं, जबकि जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि गर्मी के दिनों में पानी में ऑक्सीजन का स्तर बेहद कम हो जाने के कारण अक्सर ऐसा होता है।
यमुना किनारे उतरा रहीं मरी मछलियों के कारण दुर्गंध से करीब एक किलोमीटर के दायरे में लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। यमुना खादर में सब्जियां उगाने वाले और मछली पकड़ने वाले किसानों के लिए नदी किनारे ठहरना मुश्किल हो रहा है। मछुआरों को यमुना के पानी से चर्म रोग की समस्या उत्पन्न हो रही है।
हर एक घाट पर मछलियों की भरमार
वजीराबाद पुस्ते से बुराड़ी पल्ला नंबर-4 के जीरो पॉइंट तक तीन-चार दिन से लाखों मरी मछलियां उतरा रही हैं। स्थानीय किसानों और मछुआरों ने बताया कि यमुना नदी में सोनीपत नहर से आने वाला पानी जब से छोड़ा जाता है, तो इसी प्रकार से मछलियां मर जाती हैं। साल में एक-दो बार आठ नंबर नहर से इसी तरह से जहरीला पानी छोड़ा जाता है। ये इंडस्ट्रियल एरिया से निकला खतरनाक रसायन मिला पानी होता है, जिस कारण यमुना का पानी जहरीला हो गया है।
रसायन युक्त पानी छोड़ना भी एक कारण
यमुना में मछलियों व अन्य जलीय जीवों की मौत के पीछे यमुना के पानी में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम होना हो सकता है। विशेषज्ञ इसके पीछे कई कारण मानते हैं, जैसे साल भर नालों में जमा जहरीली गैसें पहली बारिश होने पर बहकर यमुना के पानी में मिलती हैं। पहले से दूषित यमुना के पानी में ऑक्सीजन का स्तर अचानक बेहद घट जाता है। फैक्ट्रियों से खतरनाक रसायन युक्त पानी यमुना में छोड़ा जाना भी एक कारण हो सकता है।
इन दिनों यमुना में बहाव कम हो गया है, जगह-जगह पानी जमा है। तेज गर्मी से कई जगह पानी सूख गया, जिसके कारण मछलियां मर गईं। दूसरे इन दिनों आसमान में बादल रहने के कारण पानी में ऑक्सीजन का स्तर घट गया है, इसलिए इस सीजन में मछलियां मरती हैं। ये समस्या सितंबर तक बने रहने की संभावना है। – फैयाज अहमद खुदसर, बायोडायवर्सिटी पार्क में वरिष्ठ वैज्ञानिक