मोबाइल यूजर्स (Mobile Users) का फोन बिल (Phone Bill) इस साल और बढ़ सकता है. इकॉनोमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव्स और ऐनालिस्ट्स का मानना है कि टेलिकॉम कंपनियां मोबाइल टैरिफ में 25-30 पर्सेंट का और इजाफा कर सकती हैं. एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि कंपनियों के ऐवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है.
इसके साथ भारत में टेलिकॉम सर्विसेज़ पर सब्सक्राइबर्स का कुल खर्च अन्य देशों की तुलना में काफी कम है. वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल को अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की बकाया रकम के तौर पर बड़ा भुगतान करना है. इन कंपनियों को अपनी फाइनेंशियल कंडीशन में सुधार के लिए टैरिफ बढ़ाने होंगे. एक्सपर्ट्स ने ये भी कहा है कि वोडाफोन-आइडिया के लिए मुश्किलें और भी ज्यादा अधिक हैं और कंपनी ने बिजनेस से बाहर होने की आशंका भी जताई है. अगर ऐसा होता है तो टेलिकॉम मार्केट में भारती एयरटेल और रिलायंस जियो ही बचेंगे.
IIFL सिक्यॉरिटीज के डायरेक्टर संजीव भसीन ने ET को बताया कि पिछले तीन वर्षों में यूजर्स का टेलिकॉम से जुड़ी सर्विसेज पर खर्च कम हुआ है. टेलिकॉम कंपनियां इस वर्ष टैरिफ में 30 पर्सेंट तक की और बढ़ोतरी कर सकती हैं.
भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और रिलायंस जियो ने पिछले वर्ष के अंत में प्रीपेड टैरिफ 14-33 पर्सेंट बढ़ाया था. यह तीन वर्षों में इसमें पहली बढ़ोतरी थी. इससे इन कंपनियों का ARPU मौजूदा 120 रुपये से अगले कुछ क्वॉर्टर में बढ़कर लगभग 160 रुपये पर पहुंच सकता है, लेकिन वोडाफोन आइडिया को अगर बकाया रकम पर सरकार से राहत नहीं मिलती तो इसके लिए मुश्किल काफी बढ़ जाएगी और इसे जल्द टैरिफ बढ़ाना पड़ेगा.
टैरिफ में हाल की बढ़ोतरी के बावजूद सब्सक्राइबर्स कम्युनिकेशन की अपनी जरूरतों पर प्रति व्यक्ति आमदनी का केवल 0.86 पर्सेंट खर्च कर रहे हैं, जो चार वर्ष पहले की तुलना में काफी कम है. ऐनालिस्ट्स ने बताया कि देश में कम्युनिकेशन पर यूजर्स का खर्च अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, चीन, फिलीपींस, जापान और ऑस्ट्रेलिया से बहुत कम है.