करीब छह साल के बाद आज यानी सोमवार को मोदी सरकार ने दूसरी बार स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू कर दी है. आज 3.92 लाख करोड़ रुपये कीमत के 2,250MHz स्पेक्ट्रम के विभिन्न बैंड की नीलामी शुरू हुई. हालांकि 5जी वाले स्पेक्ट्रम की नीलामी बाद में होगी.
इसके पहले स्पेक्ट्रम की नीलामी साल 2015 में हुई थी. रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने इस नीलामी के लिए कुल 13,475 करोड़ रुपये का अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट (EMD) किया है. रिलायंस जियो ने इसके लिए सबसे ज्यादा 10,000 करोड़ रुपये की अर्नेस्ट मनी दी है. भारती एयरटेल ने 3,000 करोड़ रुपये की ईएमडी और वोडाफोन आइडिया ने 475 करोड़ रुपये की ईएमडी दी है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है कि यह नीलामी 2,250 मेगाहर्ट्ज के रेडियो वेव्स के लिए मोबाइल सेवाओं की सात फ्रेक्वेंसी बैंड- 700 MHz, 800 MHz, 900 MHz, 1800 MHz, 2100 MHz, 2300 MHz और 2500 MHz band में हो रही है.
इसमें 5जी सेवाओं के लिए जरूरी 3,300-3,600 Mhz बैंड की नीलामी नहीं हो रही है. बोली में सफल कंपनी चाहे तो एकमुश्त पैसा दे सकती है या 25 से 50 फीसदी के निर्धारित टुकड़ों में. बाकी रकम वह दो साल के मोरेटोरियम में 16 ईएमआई में दे सकती है. यह स्पेक्ट्रम 20 साल की अवधि तकइस्तेमाल करने के लिए होंगे.
कोरोना संकट के बीच सरकार का राजकोषीय घाटा रिकॉर्ड पर पहुंच गया है, ऐसे में फंड की तंगी से जूझ रही सरकार के लिए स्पेक्ट्रम बिक्री से कुछ राहत मिल सकती है. हालांकि टेलीकॉम कंपनियों ने यह संकेत दिया है कि वे बहुत ऊंची बोली लगाने की इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि इस समय वे खुद वित्तीय रूप से चुनौतियों से जूझ रही हैं.