वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को देश का बजट संसद में पेश किया. इस बजट में सरकार ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) में हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया. वित्त मंत्री के इस ऐलान के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मजदूर संगठन ने मोदी सरकार की आर्थिक नीति की आलोचना की है.

समाचार एजेंसी के अनुसार संघ से जुड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने शनिवार की देर शाम बयान जारी कर एलआईसी और आईडीबीआई के विनिवेश के इस कदम को घातक बताया है.
संघ ने कहा है कि देश की संपत्ति को बेचकर राजस्व जुटाने का तरीका खराब अर्थशास्त्र का उदाहरण है. संघ से जुड़े इस संगठन ने सरकार के आर्थिक सलाहकारों और नौकरशाहों पर निशाना साधते हुए उनके ज्ञान और विजन में कमी को वजह बताया है.
भारतीय मजदूर संघ ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा है कि बेहतर होगा कि राजस्व जुटाने का कोई ऐसा मॉडल बनाया जाए, जिससे देश की संपत्ति को बेचना न पड़े.
बीएमएस ने कहा है कि भारतीय जीवन बीमा निगम देश के मध्यम और गरीब वर्ग की बचत को सुरक्षित रखने वाला उपक्रम है. आईडीबीआई ऐसा बैंक है, जो छोटे उद्योगों को वित्तपोषित करता है. ऐसे में दोनों उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी बेचने का फैसला घातक कदम सिद्ध होगा.
बीएमएस की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि राजस्थान के जोधपुर में संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही है. दो दिवसीय बैठक में सरकार के विनिवेश के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया गया, जिसकी अध्यक्षता बीएमएस के अध्यक्ष साजी नारायण ने की.
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