प्रधानमंत्री की रैली से पूरे देश को भले यह जानने की जिज्ञासा रही हो कि वे नागरिकता कानून और एनआरसी के मौजूदा विवाद पर क्या बोलते हैं, लेकिन दिल्ली भाजपा के नेताओं में यह जानने की बेचैनी थी कि क्या प्रधानमंत्री रैली में ऐसा कोई इशारा देंगे, जिससे संकेत मिल सके कि पार्टी किसको विधानसभा चुनाव के लिए चेहरा बना सकती है? दिल्ली में चुनावी अधिसूचना जारी होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में भाजपा के सीएम चेहरे पर मैच फिलहाल ड्रॉ रहा।
राजनीतिक गलियारों में कयास थे कि रैली में मोदी दिल्ली के मुख्यमंत्री के चेहरे पर तस्वीर कुछ साफ कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी के साथ, रैली ने दिल्ली भाजपा में चल रहे अंदरूनी विवाद पर भी एक तरीके से फिलहाल विराम लगा दिया।
प्रधानमंत्री ने सभी नेताओं को बराबर तवज्जो देकर यह संदेश देने का प्रयास किया कि चुनाव में फिलहाल चेहरे से ज्यादा मुद्दे हावी रहेंगे। रैली में भाजपा के सभी कद्दावर नेता और सांसद एक मंच पर मौजूद रहे।
हरेक ने रैली को सफल बनाने के लिए भरसक प्रयास किए। नेताओं के समर्थक मैदान से ही अपने नेता को समर्थन देते रहे। उनके मंच पर आते ही वे खूब हो-हल्ला और शोर-शराबा करते।
प्रधानमंत्री जब रामलीला मैदान पहुंचे तो चांदनी चौक से सांसद और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन भाषण दे रहे थे। वे इमोशनल के साथ लोकल कनेक्ट भाषण में जोड़ते हुए बता रहे थे कि वह रामलीला मैदान के पास के इलाके में पैदा हुए और पले-बढे़। प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी ने लोगों को कुछ देर भोजपुरी में संबोधित कर जोड़ने का प्रयास किया।