मोक्षदा एकादशी का तात्पर्य है मोह का नाश करने वाली। इसलिए इसे मोक्षदा एकादशी कहा गया है। द्वापर युग में इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था। अत: इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।

मोक्षदा एकादशी के दिन मानवता को नई दिशा देने वाली गीता का उपदेश हुआ था। श्रीमद् भागवत गीता एक महान ग्रन्थ है। भागवत गीता के पढ़ने से अज्ञानता दूर होती है। मनुष्य का मन आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है। इसके पठन-पाठन और श्रवण से जीवन को एक नई प्रेरणा मिलती है। मोक्षदा एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण, महर्षि वेद व्यास और श्रीमद् भागवत गीता का पूजन किया जाता है। वहीं इस व्रत को करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है।
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का जो व्रत करते हैं। उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और अन्त में स्वर्गलोक को जाते हैं।इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला दूसरा कोई भी व्रत नहीं है इस कथा को सुनने व पढ़ने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
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