मै अब टाटा समूह में कोई पद लेना नहीं चाहता: साइरस मिस्त्री

राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के हालिया फैसले के बाद साइरस मिस्त्री ने कहा है कि टाटा समूह में किसी भी भूमिका में लौटने में उनकी कोई रुचि नहीं है. मिस्त्री ने कहा कि उन्होंने कंपनी संचालन में हमेशा सर्वश्रेष्ठ मानदंडों को कायम रखने पर ध्यान दिया. उन्होंने कहा, ”किसी व्यक्ति विशेष या मेरे खुद के हितों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं टाटा समूह के हित.”

बता दें कि एनसीएलएटी के 18 दिसंबर को अपने फैसले में साइरस मिस्त्री को फिर से टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बिठाने को कहा गया था. इस फैसले में एन चंद्रशेखरन को टाटा संस के चेयरमैन पद पर नियुक्त करने को भी अवैध बताया गया. टाटा संस नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाले समूचे टाटा समूह की कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है.

एनसीएलएटी के फैसले के बाद टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. इसके बाद टाटा समूह के कई साल तक चेयरमैन रह चुके रतन टाटा ने भी सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती देने वाली याचिका दायर की. उन्होंने एनसीएलएटी के फैसले को ‘‘मामले के रिकॉर्ड के प्रतिकूल, गलत और अशुद्ध बताया.’’

इसके बाद टाटा समूह की अग्रणी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सविर्सिज (टीसीएस) ने भी एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. शेयर बाजारों को भेजी सूचना में टीसीएस ने कहा है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने 18 दिसंबर 2019 के अपने फैसले में साइरस मिस्त्री को उनके बचे कार्यकाल के लिये कंपनी का निदेशक बनाये जाने का निर्देश दिया है.

बयान में कहा गया है कि कंपनी ने कानूनी राय के आधार पर 3 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट में अपील दर्ज की है. इसमें न्यायाधिकरण के फैसले को खारिज करने और जहां तक कंपनी से संबंध की बात है फैसले के अमल पर अंतरिम रूप से स्थगन दिये जाने का अनुरोध किया गया है.

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