मैगी की लोकप्रियता: लॉकडाउन के बीच इन्सटेंट नूडल्स मैगी के लिए जमकर हुई मारामारी

पिछले कई महीनों से जारी लॉकडाउन और अब अनलॉक-1 जहां कई इंडस्ट्री-कारोबार के लिए काफी नुकसानदेह साबित हुआ है, वहीं कुछ के लिए यह आपदा में अवसर जैसा साबित हुआ है.

लॉकडाउन के बीच तो इन्सटेंट नूडल्स मैगी के लिए जमकर मारामारी रही. कोरोना वायरस के प्रकोप से पहले के दौर की तुलना में इस बीमारी के आने और इसके बाद लॉकडाउन के दौर में मैगी की बिक्री में 25 फीसदी की भारी बढ़त हुई है.

असल में खाने-पीने के ठीहे, होटल-रेस्टोरेंट सभी बंद होने की वजह से बहुत से लोगों के लिए मैगी तत्काल नाश्ते का एकमात्र विकल्प बच गया था. बहुत से दुकानदारों ने तो 1.68 किलोग्राम वाले पैक का भंडारण कर लिया क्योंकि छोटे पैकेट मिलने में काफी मुश्किल आ रही थी.

इस बड़े पैक में 24 मैगी नूडल्स केक होते हैं. लॉकडाउन के बीच उपभोक्ताओं ने भी स्टॉक खत्म होने के डर से इसका जमकर भंडारण करना शुरू कर दिया.

मैगी ब्रैंड के उत्पाद बेचने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश नारायण ने बताया कि लॉकडाउन के बीच कंपनी को अपने सभी पांचों कारखानों में मैगी का उत्पादन काफी तेजी से करना पड़ा.

करीब 12,000 करोड़ रुपये के कारोबार वाली नेस्ले इंडिया के प्रमुख ने कहा कि कंपनी ने अपने सभी कारखानों में काम बढ़ा दिया था. देश में हेल्दी ईटिंग के बढ़ते चलन के बावजूद मैगी की लोकप्रियता कम नहीं हो रही.

गौरतलब है कि न केवल मैगी बल्कि खाने-पीने की अन्य सुविधाजनक वस्तुओं जैसे ​बिस्किट आदि की भी लॉकडाउन के दौरान रिकॉर्ड बिक्री हुई है.

पारले प्रोडक्ट ने भी हाल में कहा कि उसकी बाजार हिस्सेदारी 5 फीसदी बढ़ गई है. यही नहीं, ब्रिटानिया का गुड डे, टाइगर, बोरबन, मारी, मिल्क बिकीज और पारले का मोनको, हाइड ऐंड सीक, क्रैकजैक जैसे ब्रांड की बिक्री भी जमकर हुई है. पारले-जी की बिक्री तो पिछले आठ दशकों में सबसे ज्यादा रही है.

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