मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने की 13 सेक्टर में प्रोडक्शन लिंक्‍ड इंसेंटिव की घोषणा…

मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सेक्टर के निवेश में लगातार बढ़ोतरी से साफ है कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम की रफ्तार तेज हो रही है। गोल्डमैन सैश की हालिया की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सेक्टर के निवेश में वित्त वर्ष 2020-21 के मुकाबले 210 फीसद तो वित्त वर्ष 2019-20 के मुकाबले 460 फीसद का इजाफा रहा। वित्त वर्ष 2021-22 में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सेक्टर में कांट्रैक्ट अवार्ड करने में पूर्व के वित्त वर्ष के मुकाबले 135 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ सालों में पूंजीगत खर्च में निजी निवेश की हिस्सेदारी में भी खासी बढ़ोतरी हुई है।

रिपोर्ट के मुताबिक मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सेक्टर में गत वित्त वर्ष 21-22 में 8,082 अरब रुपए के नए निवेश किए गए जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में 1445 अरब रुपए का निवेश किया गया था। गत वित्त वर्ष 21-22 में पूंजीगत खर्च में घरेलू स्तर के निजी सेक्टर ने 11,103 अरब रुपए के नए निवेश की घोषणा की जबकि इससे पूर्व के वित्त वर्ष में निजी सेक्टर ने 4876 अरब रुपए के नए निवेश की घोषणा की थी। विदेशी निजी निवेशकों ने वित्त वर्ष 21-22 में पूंजीगत खर्च के लिए 2173 अरब रुपए के नए निवेश की घोषणा की जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में विदेशी निजी निवेशकों ने सिर्फ 407 अरब रुपए के नए निवेश की घोषणा की थी।

रिपोर्ट के मुताबिक इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में वित्त वर्ष 21-22 में 8883 अरब रुपए के नए निवेश की घोषणा की गई जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में 7355 अरब रुपए के नए निवेश की घोषणा इस सेक्टर में की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक गत वित्त वर्ष में विभिन्न सेक्टर में कई बड़ी परियोजनाओं की घोषणा की गई। खासकर स्टील सेक्टर में कई नई परियोजनाओं की घोषणा की गई। इसके अलावा पेट्रोकेमिकल्स, सीमेंट, ऑटोमोबाइल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, ई-वाहन व डाटा सेंटर शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने 13 सेक्टर में प्रोडक्शन लिंक्‍ड इंसेंटिव की भी घोषणा की है। पीएलआई स्कीम के तहत इन सेक्टर में नए निवेश की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

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