पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को बचाने के लिए पाकिस्तानी सेना इमरान खान की सरकार के सहारे बचाने की कोशिश करेगी। यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) नामक थिंक टैंक ने यह दावा किया है। गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ को पिछले दिनों देशद्रोह के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। मुशर्रफ ने शुक्रवार को लाहौर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर इस सजा को चुनौती दी।
एक विशेष अदालत द्वारा सुनाए गए इस फैसले को अभूतपूर्व और ऐतिहासिक बताया गया। सात दशक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब एक सेना प्रमुख (सेवारत या सेवानिवृत्त) ने ट्रायल का सामना किया। यूरोपियन थिंक टैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार इस फैसले से पाकिस्तान में सेना के बर्चस्व को खतरा हो सकता है
पाकिस्तान की राजनीति में सेना हमेशा से हावी रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण खुद मुशर्रफ रहे हैं, जिन्होंने 1999 में तत्कालिन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का तख्तापलट कर आठ साल तक राज किया। इस फैसले के बाद लग रहा है कि सेना के बर्चस्व को नेता और न्यायपालिका चुनौती पेश कर रहे हैं। मुशर्रफ को मिली सजा पाकिस्तानी सेना को नगवार गुजरी और उसने अदालत के फैसले पर सवाल उठाए हैं।
यूरोपियन थिंक टैंक के अनुसार इस वक्त तख्तापलट की संभावना आसार कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री इमरान खान सेना की कथपुतली की तरह काम कर रहे हैं। कई ऐसे मौके सामने आए हैं जब इमरान खान सरकार ने न्यायिक और राजनीतिक मोर्चे पर सेना के साथ खड़ी दिखाई दी है।
कोर्ट को सेना की नाखुशी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है
यूरोपियन थिंक टैंक के रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यायपालिका को सेना की नाखुशी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसके लिए वह इमरान सरकार का इस्तेमाल करेगी। इमरान सरकार ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया था। सूचना और प्रसारण के लिए पीएम इमरान के विशेष सहायक, फिरदौस आशिक एवान ने फैसले के बाद कहा, ‘कानूनी विशेषज्ञ राजनीतिक और राष्ट्रीय हित के संदर्भ में कानूनी रूप से इसके प्रभावों का विश्लेषण करेंगे और फिर मीडिया के सामने एक सरकारी बयान पेश किया जाएगा।’
बता दें कि मामले में फैसले सुनाने वाले जस्टिस वकार अहमद सेठ के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया था। देश के अटॉर्नी- जनरल अनवर मंसूर खान ने सेठ की मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने की बात कही थी। पाकिस्तान सरकार ने जस्टिस सेठ के खिलाफ सुप्रीम जूडिशल कौंसिल में रेफरेंस दायर करने का फैसला किया। इसका हवाला देते हुए यूरोपियन थिंक टैंक के रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले महीनों में अन्य दो जजों को भी इसी तरह निशाना बनाया जाएगा।