मुझे राजस्थान सरकार में सम्मान के साथ काम करने की आजादी मिले यह मेरा हक है: सचिन पायलट

राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की लड़ाई पर तजुर्बा हावी रहा है. दिसंबर 2018 में जब पार्टी को बहुमत मिला तो सीएम पद के लिए अशोक गहलोत को चुना गया.

पार्टी हाईकमान का ये फैसला सचिन पायलट को पसंद नहीं आया और उन्होंने अपनी मेहनत का हवाला देते हुए इस पद की मांग की. लंबी खींचतान के बाद गहलोत के नाम पर ही अंतिम मुहर लगी.

कहा जाता है कि अशोक गहलोत की राजस्थान की राजनीति में पकड़ और कांग्रेस हाईकमान से सीधा कनेक्शन उनके पक्ष में गया.

अब जबकि सचिन पायलट ने अशोक गहलोत को खुली चुनौती दी तो एक बार फिर गहलोत युवा पायलट पर भारी पड़ गए. उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद सचिन पायलट ने बताया कि क्यों वो सीएम पद के हकदार हैं, साथ ही उन्होंने अशोक गहलोत की सियासी पकड़ पर चोट करने वाले उदाहरण भी दिए.

सचिन पायलट ने कहा, ”2018 में पार्टी को जीत के मुकाम तक पहुंचाने के बाद मैंने सीएम पोस्ट पर अपना दावा किया. मेरे पास पर्याप्त कारण थे. मैंने जब पार्टी संभाली तो 200 में से हमारे 21 विधायक थे. पांच साल तक जब मैंने लोगों के बीच काम किया तो गहलोत जी ने एक शब्द नहीं बोला.

राजे सरकार के खिलाफ काम करते हुए हमने पुलिस का सामना किया. लेकिन जीत के बाद गहलोत जी ने अपने तजुर्बे के आधार सीएम पद पर दावा ठोक दिया.”

गहलोत के एक्सपीरियंस पर सवाल उठाते हुए सचिन पायलट ने कहा, ”2018 से पहले वो 1999 और 2009 में दो बार सीएम बने. लेकिन दोनों ही कार्यकाल के बाद 2003 और 2013 के चुनाव में वो पार्टी को 56 और 26 सीटों तक ले आए.

इसके बावजूद उन्हें तीसरी बार सीएम पद से नवाजा गया. उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन का वादा किया. लेकिन गहलोत के अपने बूथ पर कांग्रेस उम्मीदवार नहीं जीत सका, ये उनका एक्सपीरियंस है. इस सबके बावजूद मैंने उन्हें सीएम बनाने के राहुल गांधी जी के फैसले को स्वीकार किया.”

सचिन पायलट ने बताया कि उन्होंने राहुल गांधी जी का फैसला मानते हुए अशोक गहलोत को सीएम के रूप में स्वीकार किया. राहुल जी ने गहलोत जी से सत्ता और काम का सही बंटवारा करने के लिए कहा. लेकिन मुख्यमंत्री ने मुझे कॉर्नर करने और बेइज्जत करने का एजेंडा बना लिया. जो वादे मैंने लोगों से किए थे, उन्हें पूरा करने से मुझे रोका जाने लगा.

सचिन पायलट ने एक बार फिर कहा है कि वो बीजेपी में नहीं जा रहे हैं. साथ ही ये भी कहा है कि सीएम पद का सवाल नहीं है, सवाल आत्म-सम्मान का है. पायलट ने कहा कि उनकी डिमांड सिर्फ ये है कि सम्मान के साथ काम करने की आजादी मिले.

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