‘मुझे नहीं मिलता रोजाना 2 लीटर पानी’ बोले-सीएम पलानीस्वामी, तमिलनाडु में पानी की भारी किल्लत…

तमिलनाडु में पानी की भारी किल्लत से लोग जूझ रहे हैं। भीषण जल संकट ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। चेन्नई के ज्यादातर इलाकों में लोग टैंकरों से पानी भरने को मजबूर हैं।

चेन्नई में टैंकरों से पानी लेने के लिए टोकन जारी किया जा रहे हैं। अब इस मुद्दे को चेन्नई की विपक्षी पार्टी डीएमके राजनीतिक तूल देने की तैयारी में है। इस मुद्दे पर सरकार को पूरी तरह से तैयारी कर ली गई है। डीएमके कार्यकर्ताओं ने आज अरुंबक्कम इलाके में पानी की किल्लत को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। चेन्नई में पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे लोगों का कहना है कि इससे पहले उन्होंने कभी भी ऐसी  स्थिति का सामना नहीं किया है। हालात इतने ज्यादा खराब हो गए हैं कि बोरवेल से पानी नहीं आ रहा है। कुएं का पानी भी औसत से बहुत नीचे चला गया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके क्षेत्र में टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति नियमित रूप से नहीं की जा रही है। लोगों का कहना है कि पहले पानी की आपूर्ति नियमित थी, लेकिन अब ये बहुत कम हो गई है।

इस बीच तमिलनाडु के सीएम पलानीस्वामी ने उन खबरों का खंडन किया है, जिसमें पानी की कमी के कारण गेस्ट हाउस और स्कूल बंद करने की बात कही रही है। सीएम पलानीस्वामी ने कहा कि ‘पानी की कमी के कारण गेस्ट हाउस और स्कूल बंद करने की रिपोर्ट सही नहीं है। ऐसी कोई स्थिति नहीं है। इस दौरान सीएम पलानीस्वामी ने ये भी कहा कि, ‘यह कहना गलत है कि मुझे रोजाना दो लीटर पानी मिलता है। मेरे पास एक बहुत बड़ा घर है जहाँ बहुत से लोग आते हैं और एक बहुत बड़ा स्टाफ है। मुझे उन्हें पानी उपलब्ध कराना पड़ता है।

डीएमके क्यों विरोध कर रही-  केरल की सरकार ने गुरुवार को दावा किया कि उसने तमिलनाडु को 20 लाख लीटर पेयजल मुहैया कराने की इच्छा जताई थी लेकिन तमिलनाडु ने इस पेशकश को ये कहते हुए ठुकरा दिया कि उन्हें अभी इसकी जरूरत नहीं है। तमिलनाडु सरकार ने पेशकश ठुकराने वाली बात से इंकार किया है। इसको लेकर डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन ने तमिलनाडु सरकार से अपील की थी कि वह लोगों की मदद करने के लिए केरल के साथ मिलकर काम करें।

ये बदलाव पानी की किल्लत की वजह से-   पानी की किल्लत से लोगों की परेशानी की कई वजहें हैं। लोगों ने कहा था कि राज्य में उपजी इस समस्या के बाद स्कूलों की टाइमिंग बदल दी गई है। ताकि बच्चों को दिक्कत ना हो। कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि वह घर से काम करें, आफिस ना आएं।

 

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