प्रदेश में अब जरूरतमंदों को मुख्यमंत्री राहत कोष से आर्थिक सहायता सीधे उनके खाते में पहुंचेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष पोर्टल शुरू किया गया है। इसमें ऑनलाइन आवेदन करने वालों को आर्थिक सहायता डीबीटी द्वारा दी जाएगी।
मंगलवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष पोर्टल और ई-ऑफिस योजना की शुरुआत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-ऑफिस से सचिवालय के कार्यों में उत्तरदायी, प्रभावी और पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित होगी। इसमें फाइल निस्तारण के कार्यों में तेजी और कार्य प्रबंधन में सुधार आएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह देखने में आया है कि मरीज कभी राज्य से बाहर अस्पताल में होता है उसे आर्थिक सहयोग की आवश्यकता होती है और पैसा पहुंचते-पहुंचते खासा समय लग जाता है। राहत कोष पोर्टल से आमजन को सहूलियत होगी अब इस ऑनलाइन प्रक्रिया से जरूरतमंदों को एक सप्ताह के भीतर आर्थिक सहायता दी जा सकेगी। वहीं, मरीजों के मामले में बाद में सीधा अस्पताल को धनराशि भेजने की व्यवस्था होगी
इस दौरान बताया गया कि आवेदक सीधे मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष के लिए बनाए गई वेबसाइट के जरिये आवेदन कर सकता है। इस वन स्टॉप पोर्टल में आवेदन की जानकारी और ई-हस्ताक्षर की भी सुविधा होगी। इसके जरिये लाभार्थियों को प्रमाण-पत्र भी जारी किया जाएगा। ई-ऑफिस के बारे में बताया गया कि इसके लिए विभागवार नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं। विभागीय फाइलों के फाइल हेड का डेटा एकत्रित किया गया है। इसके लिए अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। कार्यक्रम में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश व राधा रतूड़ी और प्रमुख सचिव मनीषा पंवार व आनंद वद्र्धन आदि उपस्थित थे।
वेतन और पेंशन के बढ़ते बोझ के चलते इस माह के आखिरी हफ्ते में कर्ज लेने की नौबत आ सकती है। हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में कर्ज का प्रबंधन करने में सरकार को कुछ हद तक कामयाबी भी मिली है। नतीजतन वर्ष 2018 के दिसंबर महीने तक जहां 5350 करोड़ कर्ज लिया गया था, वहीं वर्ष 2019 में इस अवधि तक 2350 करोड़ कर्ज बाजार से उठाया गया है।
राज्य में गैर विकास मदों खासतौर पर वेतन-भतों और पेंशन को लेकर सरकारी खजाने पर हर साल बोझ बढ़ रहा है। हालत ये है कि बाजार से कर्ज उठाकर वेतन का भुगतान करने की नौबत है। बीते दिसंबर माह में ही सरकार को पहले 500 करोड़ और फिर 250 करोड़ समेत कुल 750 करोड़ कर्ज लेना पड़ा था। सरकार ने कर्ज पर अंकुश लगाने के लिए इस बार कर्ज प्रबंधन पर भी काम शुरू किया है। केंद्र सरकार से कैंपा और फिर विभिन्न मदों में मिली धनराशि से इस बार कर्ज को साधने में सरकार कामयाब भी रही है।
चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में अब तक बाजार से लिए गए कर्ज के आंकड़े इसकी तस्दीक कर रहे हैं। बीते अप्रैल माह से दिसंबर माह तक कुल 2350 करोड़ कर्ज लिया जा चुका है। पहले महीने अप्रैल में ही 500 करोड़ रुपये बतौर उधार लेने की नौबत आ गई थी। कर्ज प्रबंधन के चलते मई व जून और फिर अक्टूबर व नवंबर समेत कुल चार महीने ऐसे रहे, जिनमें कर्ज नहीं लिया गया। अब वेतन भुगतान के संकट के मद्देनजर चालू माह जनवरी के अंतिम हफ्ते में करीब 300 करोड़ तक कर्ज लिया जा सकता है। हालांकि कर्ज कितना लिया जाए, इस बारे में तस्वीर गुरुवार तक साफ हो पाएगी।
वित्त सचिव अमित नेगी का कहना है कि चालू वित्तीय वर्ष में कर्ज की स्थिति पिछले वर्ष की तुलना में काफी हद तक नियंत्रित रही है। पिछले वित्तीय वर्ष 2018-19 में कुल 6300 करोड़ रुपये कर्ज उठाया गया था।