मुखिया के अनुशासन और हरेक सदस्य के समर्पण से चलता है संयुक्त परिवार, कोविड ने बढ़ाई निकटता

संयुक्त परिवारों में मुखिया का अनुशासन और हरएक सदस्य का समर्पण सामाजिक एकता का आधार बनता है। दिल्ली में आज भी संयुक्त परिवारों में बुजुर्गों को सम्मान, बच्चों को संस्कार और युवाओं को मार्गदर्शन मिल रहा है।

हरियाणा सीमा से सटे दिल्ली देहात के गांव कटेवडा के पूरन सिंह रोहिल्ला का ऐसा ही संयुक्त परिवार है। इसमें परिवार के 20 सदस्य एक-दूसरे का भावनात्मक और आर्थिक सहारा बनकर समाज को मजबूत कर रहे हैं।

हर साल 15 मई को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य परिवार के महत्व को उजागर करना और समाज में उनकी भूमिका को मजबूत करना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1993 में इस दिन को मनाने का प्रस्ताव पारित किया था।

पहली बार 1994 में इसे वैश्विक स्तर पर मनाया गया। इस साल दिल्ली में यह दिन संयुक्त परिवारों की ताकत और उनके सामाजिक योगदान पर केंद्रित है। दिल्ली में आज भी कई ऐसे परिवार हैं, जहां परंपराएं और संस्कार गहरे तक जुड़े हुए हैं।

मुखिया की सख्ती को सभी प्रेम से मानते हैं : कटेवडा के पूरन सिंह रोहिल्ला की उम्र 80 साल से अधिक है। इनकी पत्नी चंदरवती भी करीब 80 साल की हैं। परिवार के बड़े बेटे राम निवास रोहिल्ला ने बताया कि उनके तीन भाई, सबकी पत्नियां, बच्चे आज भी साथ मिलकर पिताजी के साथ रहते हैं। घर में सबसे बड़े पूरन सिंह रोहिल्ला का प्रबंधन आज भी परिवार में चलता है।

परिवार में सब पर उनकी सख्ती रहती है और सब इसे प्रेम से स्वीकार करते हैं। घर के सदस्य दिनभर कहीं रहें, रात को सभी को घर आना होता है। पिताजी को पूरी जानकारी रहती है कि घर का कौन सा सदस्य कहां पर है।

कोविड महामारी परिवारों को नजदीक लाई
दिल्ली में आधुनिकता और परंपरा आज भी दिखती है। संयुक्त परिवार अभी भी सामाजिक ढांचे की रीढ़ बने हुए हैं। संयुक्त परिवारों पर जर्मन शोधकर्ता एजेंसी स्टेटिस्टा के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 41.8% परिवार संयुक्त हैं। शहरी दिल्ली में एकल परिवारों की संख्या 61.3% हैं, जबकि दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 43.3% तक पहुंचता है। राम निवास कहते हैं कि कोविड महामारी जैसे संकटों ने संयुक्त परिवारों की अहमियत को समझा दिया, जब परिवार के सदस्यों ने एक-दूसरे का भावनात्मक और आर्थिक सहारा बनकर समाज को मजबूती दी।

Mahendragarh-Narnaul News: पिता ने परिवार को एक सूत्र में पिरोया, हम पदचिह्नों पर चल रहे

बच्चे पैसे कमाते हैं, लेकिन कमान बड़ों के ही हाथ में
मयूर विहार फेज-1 में ओमवती छलेरिया के संयुक्त परिवार में कुल 13 सदस्य हैं। वे कहती हैं कि बच्चे और बहुएं नौकरी करते हैं और पैसे कमाते हैं। लेकिन घर की कमान आज भी उन्होंने पति के साथ मिलकर अपने हाथों में ले रखी है। हरएक सम-विषम परिस्थितियों में वे सारी जिम्मेदारियां लेती हैं। बेटे-बहुएं घर की बड़ी जिम्मेदारियों से मुक्त हैं। सब एक साथ खुश हैं।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com