मिड-डे मील के तहत स्कूली बच्चों को अच्छा खाना उपलब्ध कराने वाले राज्यों को केंद्र ने अतिरिक्त मदद देने की पेशकश की है। हालांकि इसके लिए राज्यों को उठाए गए जरूरी कदमों और संसाधनों का ब्यौरा देना होगा। केंद्र ने फिलहाल सभी राज्यों को 15 दिन के भीतर ऐसी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। केंद्र के इस कदम को स्कूली बच्चों को दिए जाने वाले खाने की गुणवत्ता को बेहतर बनाने से जोड़कर देखा जा रहा है।
केन्द्र ने राज्यों से मांगा ब्यौरा
केंद्र ने इसे लेकर राज्यों से फिलहाल मिड-डे मील की गुणवत्ता को जांचने के लिए जिन बिंदुओं पर ब्यौरा देने को कहा है, उनमें अब तक बनाई रसोई, हर दिन के हिसाब से उपलब्ध कराए जाने वाले भोजन का मेन्यू, तिथि जैसे विशेष भोजन के साथ अभिभावकों और स्थानीय लोगों की भागीदारी जैसी जानकारी देने को कहा गया है।
सरकार ने इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राज्यों से जिलेवार वार्षिक योजना और बजट का ब्यौरा भी देने को कहा है। साथ ही यह संकेत भी दिया है, वह नई सरकार के गठन से पहले इससे जुड़ी कवायद को पूरा कर लेना चाहती है।
मौजूदा सरकार के रुख को देखते हुए मंत्रालय ने नई सरकार के गठन के बाद जिन कामों को प्राथमिकता में रखा है, उनमें मिड-डे की गुणवत्ता के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने का यह कदम भी शामिल है।यही वजह है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मिड-डे मील के लिए राज्यों के मसौदे को अंतिम रुप से लिए तारीखें भी तय कर दी है, जो मई में होगी।