धार्मिक मत है कि जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है। इस दिन विशेष उपाय भी किए जाते हैं। इन उपायों को करने से घर में खुशियों का संचार होता है। आइए पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं।
हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। ज्येष्ठ माह में 14 जून यानी आज मासिक दुर्गाष्टमी है। इस उपलक्ष्य पर मंदिरों में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा की जा रही है। साधक व्रत रख मां दुर्गा की श्रद्धा भाव से पूजा-आरती कर रहे हैं। ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह की दुर्गाष्टमी पर सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को सभी शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होगी। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं-
आज का पंचांग
शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 15 जून को देर रात 12 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू होगी। मां दुर्गा की पूजा निशा काल में होती है। निशा काल में मां दुर्गा की पूजा करने से शुभ कार्यों में सिद्धि मिलती है।
योग
मासिक दुर्गाष्टमी पर सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 07 बजकर 08 मिनट तक है। ज्योतिष सिद्धि योग को शुभ कार्यों के लिए शुभ मानते हैं। इस योग में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं।
करण
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बव करण का निर्माण हो रहा है। बव करण का योग देर रात 12 बजकर 03 मिनट तक है। मां दुर्गा की पूजा निशा काल में होती है। इस योग में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 20 मिनट पर
चन्द्रोदय- दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर
चंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 52 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 43 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से 03 बजकर 37 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 19 मिनट से 07 बजकर 39 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक
अशुभ समय
राहु काल – सुबह 10 बजकर 37 मिनट से 12 बजकर 22 मिनट तक
गुलिक काल – सुबह 07 बजकर 07 मिनट से 08 बजकर 52 मिनट तक
दिशा शूल – पश्चिम
ताराबल
भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
चन्द्रबल
मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन
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