विजय माल्या के प्रत्यर्पण की मांग करने वाली सीबीआई और ईडी की एक संयुक्त टीम ने यूके की क्राउन प्रोस्क्यूशन सर्विस (सीपीएस) को बताया कि पूर्व शराब व्यापारी ने “आपराधिक षड्यंत्र” के रूप में सरकारी बैंकों से ऋण लिया था। इस मामले पर ब्रिटिश अभियोजन पक्ष ने टीम से कहा है कि परिस्थितियों को समझाने के लिए वो भौतिक साक्ष्य दें।
सूत्रों के मुताबिक, सीपीएस 17 मई को इस बात पर बहस करेगी कि माल्या को क्यों भारत में प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस तर्क के लिए मजबूत प्वॉइंट्स भी मांगे और सीबीआई और ईडी के अधिकारियों की संयुक्त टीम ने पिछले सप्ताह यह जानकारी दी थी। भारतीय अधिकारियों ने उन्हें बताया कि कैसे माल्या ने पहले बैंकों को आश्वस्त किया कि वह किंगफिशर एयरलाइंस के संचालन के लिए ऋण ले रहे हैं।
सीपीएस के वकीलों को सूचित किया गया था कि माल्या ने आईडीबीआई बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष योगेश अग्रवाल के साथ मिलकर ये किया था, जिसने पहले से कर्जदार एयरलाइंस को 900 करोड़ रुपये का ऋण दिया था। ब्याज के साथ कुल बकाया ऋण अब 9000 करोड़ रुपये है। बता दें माल्या को सुप्रीम कोर्ट ने भी कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया है। कोर्ट ने माल्या को 10 जुलाई को कोर्ट के सामने पेश होने के लिए कहा है। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि 10 जुलाई को उनकी सजा निर्धारित की जाएगी।
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