उत्तर प्रदेश विभाजन का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है. बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कहा कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वह चुपचाप नहीं बैठेगी. वह यूपी को पूर्वांचल सहित चार छोटे प्रदेशों में बांटेगी.
गोरखपुर में चुनावी बैठक के दौरान मायावती ने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने इस प्रस्ताव पर खुद मुहर लगाई थी. यूपी की सियासत में गोरखपुर अपना ही रूतबा है. पूर्वांचल के ये इलाके विकास से कोसों दूर है. गोरखपुर सहित आसपास के इलाकों में छठे चरण के तहत 4 मार्च को वोटिंग होनी है.
साल 2011 में मायावती जब मुख्यमंत्री थी तो उनकी सरकार ने यूपी विधानसभा में प्रदेश के विभाजन को लेकर प्रस्ताव पारित किया था. इसमें यूपी को चार हिस्सों में बांटना था. संभावित प्रदेश के नाम थे- हरित प्रदेश (पश्चिमी यूपी), पूर्वांचल (पूर्वी उत्तर प्रदेश), बुंदेलखंड और अवध.
मायावती ने कहा कि इन इलाकों में विकास तभी होगा जब ये छोटे हिस्सों में बंट जाएंगे. बसपा सरकार आने पर इस दिशा में पहल की जाएगी. इस बार चुनाव में जनता के पास मौका है कि वे सपा, कांग्रेस और बीजेपी को सजा दें. ये पार्टियां पूर्वांचल के गठन का विरोध कर रही हैं.
दिलचस्प बात यह है कि यूपी विभाजन को लेकर इस बार विधानसभा चुनाव में लगभग सभी दल अब तक चुप थे. ऐसे में मायावती ने यूपी विभाजन को हवा देकर बड़ा दांव खेला है. वैसे प्रदेश विभाजन की मांग तो कई वर्षों से की जाती रही है, लेकिन एक बार फिर से बसपा ने पुरजोर तरीके से इसे उठाया है.
मायावती हमेशा से यूपी को चार हिस्सों में बांटने का समर्थन करती रही है. उसने पहली यह मसला तब उठाया था, जब वह 2007 में सत्ता में आई थी. मायावती ने जब विधानसभा में यूपी को चार हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव रखा था तो उस वक्त बीजेपी और कांग्रेस ने इसका समर्थन किया था.
2007 के चुनाव में बसपा को 206 सीटें मिली थी, लेकिन 2012 में करारी हार के बाद यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया. 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा 80 सीटों पर सिमट गई थी. इसके बाद अन्य सियासी दलों ने इसे तवज्जो नहीं दी.