माता की भेंट गाने वाले विख्यात गायक नरेंंद्र चंचल के निधन से मंदिरों के शहर जम्मू के लोगों में शोक की लहर है। माता का शायद ही कोई भक्त होगा, जिसके घर में चंचल की भेंटें न गूंजती हों। उनके गाए परमानंद अलमस्त के डोगरी गीत ‘लौह्का घड़ा चुक्क गोरिए, कुतै लचका नी खाई जा लक्क ओ…’ और किश्न समैलपुरी की डोगरी गजल‘बडे़ दुख चैंचलो हिरखै दे मारे स्हारने पौंदे…’ आज भी हर घर में गूंजते हैं।
हर डोगरा समारोह में चंचल के गाए डोगरी गीत जरूर बजते हैं। चंचल की भेंटों और डाेगरी गीतों को सुनते हुए हमेशा ऐसा लगाता था कि चचंल हमारे अपने हैं। उन्हें भी जम्मू से विशेष लगाव था।
कई साल से नरेंद्र चंचल नववर्ष की पूर्व संध्या पर आयोजित जागरण में भाग लेते थे। उन्होंने जम्मू, कटड़ा, माता वैष्णो देवी के दरबार में आयोजित कई कार्यक्रमों में भाग लिया।खासकर उनका गाया फिल्म अवतार का भजन ‘चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है…’ हर किसी की यादों का हिस्सा है। संगीतकार बृजमोहन ने बताया कि चंचल डोगरी एल्बम बनाना चाहते थे। इसको लेकर उनके साथ कई बैठकें हुई। उनके अमृतसर स्थित घर में जाकर मिले भी थे।
चंचल ने अपने एक साक्षात्कार में कहा भी था कि वह बृजमोहन के संगीत में डोगरी एलबम बनाने जा रहे हैं। बृजमोहन ने बताया कि वह डॉ. कर्ण सिंह के लिखे भजन भी उनसे गवाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने डॉ. कर्ण सिंह से अनुमति भी ले ली थी, लेकिन समय का तालमेल नहीं हो सका।
संगीतकार स. प्रीतम सिंह ने कहा कि चंचल की भेंट सुनने वह कई बार कटड़ा गए थे। वह जितने अच्छे कलाकार थे, उतने ही अच्छे इंसान भी थे। वह जब भी जम्मू आते पुराने शहर के गली मल्होत्रा में अशोक आनंद परिवार से मिलने जरूर जाते थे। संगीतकार एवं गायक शाम साजन ने बताया कि उनकी चंचल से पहली मुलाकात अशोक आनंद के घर में हुई। जब चंचल जी उनके घर आए थे, तो उन्हें भी खाने पर आमंत्रित किया गया था। उसके बाद उन्हीं के घर में एक शादी में चंचल अपनी पूरी टीम के साथ पहुंचे थे। वहां उन्होंने विभिन्न फिल्मों में गाए अपने गीत सुनाकर महफील लूट ली थी।
उस कार्यक्रम में उन्होंने मुझसे डोगरी, पंजाबी गाने, डोगरी गजलें सुनी थी। उस कार्यक्रम में मोहन मिश्रा ने भी गाने सुनाए थे। वो कार्यक्रम मेरे यादगार कार्यक्रमों में है। आज जब सुना की नरेंद्र चंचल हममें नहीं रहे, तो लगा जैसे अपना कोई हमें छोड़ कर चला गया।
वरिष्ठ गायक बिशन दास ने कहा कि जब फिल्म अवतार की शूटिंग चल रही तो वह चंचल जी से होटल अशोक में पहली बार मिले थे। तब उनसे पूछा था कि गायक होने के लिए क्या जरूरी है तो उन्होंने बड़े शांत स्वर में जवाब दिया ‘गला और शांति’। गायक सुरेंद्र सिंह मन्हास ने बताया कि वर्ष 2018 में देव स्थान मथवार जम्मू में और वर्ष 2020 में वेद मंदिर अंबफला जम्मू में आयोजित जागरण में उनके साथ गाने का मौका मिला।
वह हर कलाकार को प्रोत्साहित करने में यकीन करते थे। उनके लिए कोई कलाकार छोटा बड़ा नहीं था। उनके साथ जो भी मंच पर होता, उसे पूरा सम्मान देते थे। उनके गीत सुनना हमेशा अच्छा लगता है। वह बेशक आज हमारे बीच नहीं रहे हैं, लेकिन उनके गीतों ने उन्हें अमर कर दिया है।