महिलाओं में लंबे समय से चली आ रही सूजन को कम करता है दही

रोज दही खाने से क्रॉनिक सूजन में आराम मिलता है। इसके साथ ही यह आंत रोग, गठिया और अस्थमा जैसे रोगों के कारकों को घटाता है। यह अध्यनन ‘जर्नल ऑफ न्यूट्रिशियन’ नामक एक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अध्यनन के अनुसार दही का सेवन आंतों की परत में सुधार करके सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। यह एंडोटॉक्सिन्स को रोकने में सहायक है, जो कि सूजन संबंधी मॉलिक्यूल को बढ़ने से रोकता है।रोज दही खाने से क्रॉनिक सूजन में आराम मिलता है। इसके साथ ही यह आंत रोग, गठिया और अस्थमा जैसे रोगों के कारकों को घटाता है। यह अध्यनन ‘जर्नल ऑफ न्यूट्रिशियन’ नामक एक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अध्यनन के अनुसार दही का सेवन आंतों की परत में सुधार करके सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। यह एंडोटॉक्सिन्स को रोकने में सहायक है, जो कि सूजन संबंधी मॉलिक्यूल को बढ़ने से रोकता है।  अमेरिका में विस्कॉन्सिन-मैडिसन यूनिवर्सिटी के एक सहायक प्रोफेसर ब्रैड बोलिंग ने शरीर के तंत्र पर दही के प्रभाव का अध्ययन किया। उन्होंने कहा कि एस्पिरिन, नैप्रोक्सेन, हाइड्रोकोर्टिसोन और प्रीडिसोन जैसी एंटी-इनफ्लेमेट्री (सूजन संबधी) दवाओं की मदद से क्रोनिक सूजन के प्रभाव को कम किया जा सकता है। लेकिन इसके कुछ विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं।  120 महिलाओं पर किया गया अध्ययन शोधकर्ताओं ने 120 प्री मैनोपॉज महिलाओं पर अध्ययन किया। इसमें से कुछ शारीरिक रूप से मोटी व पतली महिलाओं को शामिल किया। उन्हें नौ सप्ताह के लिए प्रतिदिन 12 औंस कम वसा वाली दही खाने को दी गई। बिना दूध वाले डैजर्ट खाने को दिए गए। उन्होंने रक्त की जांच कर सूजन का पता लगाया। निष्कर्षों में पाया गया कि निरंतर दही के सेवन से एंटी-इनफ्लेमेट्री में बदलाव देखा गया।

अमेरिका में विस्कॉन्सिन-मैडिसन यूनिवर्सिटी के एक सहायक प्रोफेसर ब्रैड बोलिंग ने शरीर के तंत्र पर दही के प्रभाव का अध्ययन किया। उन्होंने कहा कि एस्पिरिन, नैप्रोक्सेन, हाइड्रोकोर्टिसोन और प्रीडिसोन जैसी एंटी-इनफ्लेमेट्री (सूजन संबधी) दवाओं की मदद से क्रोनिक सूजन के प्रभाव को कम किया जा सकता है। लेकिन इसके कुछ विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं।

120 महिलाओं पर किया गया अध्ययन
शोधकर्ताओं ने 120 प्री मैनोपॉज महिलाओं पर अध्ययन किया। इसमें से कुछ शारीरिक रूप से मोटी व पतली महिलाओं को शामिल किया। उन्हें नौ सप्ताह के लिए प्रतिदिन 12 औंस कम वसा वाली दही खाने को दी गई। बिना दूध वाले डैजर्ट खाने को दिए गए। उन्होंने रक्त की जांच कर सूजन का पता लगाया। निष्कर्षों में पाया गया कि निरंतर दही के सेवन से एंटी-इनफ्लेमेट्री में बदलाव देखा गया।

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