महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए आज मतदान होना है। नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। नांदेड़ में पूर्व सीएम अशोक चव्हाण की बेटी श्रीजया भोकर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में हैं। कांग्रेस भी अपने गढ़ को बचाए रखने के लिए पूरा जोर लगा रही है। तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी मैदान में डटे हुए हैं।
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में नांदेड़ सबसे बड़ा जिला है। गन्ने की खेती यहां भी खूब होती है, पर इन दिनों सियासी गलियारों में अशोक चव्हाण का नाम काफी चर्चा में है। दिग्गज कांग्रेसी रह चुके अशोक चव्हाण मुख्यमंत्री भी रहे हैं। पिता शंकर राव चव्हाण भी सीएम रह चुके हैं। अशोक चव्हाण खुद मैदान में नहीं हैं, लेकिन परिवार की तीसरी पीढ़ी मैदान में है।
वह अब भाजपा में हैं और राज्यसभा सदस्य भी हैं। ऐसे में यह चुनाव और नांदेड़ जिले के परिणाम नए सिरे से उनके कद को परिभाषित करेंगे। यही वजह है कि उन्होंने भी पूरी जान लगा रखी है और कांग्रेस ने भी कसर नहीं छोड़ी है। स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि खुद राहुल गांधी यहां की राजनीति में विशेष रूचि ले रहे हैं। नांदेड़ का बॉर्डर तेलंगाना से मिला हुआ है और वहां के सीएम रेवंत रेड्डी यहां कांग्रेस की चुनावी कमान संभाले हुए हैं। मराठा आरक्षण की आंच यानी जरांगे फैक्टर से यह जिला भी अछूता नहीं है।
पिछले विस चुनाव में जिले की नौ में से चार सीटों पर कांग्रेस व उसकी सहयोगी शेतकारी पार्टी एक, शिवसेना एक और तीन सीटों पर भाजपा यहां से जीती थी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की। हालांकि, सांसद का निधन हो जाने के कारण यहां पर लोकसभा उपचुनाव भी हो रहा है। लोकसभा उपचुनाव में पिछली बार जीते वसंत राव चव्हाण के बेटे रविंद्र चव्हाण कांग्रेस से हैं, तो भाजपा ने संतुत राव हंबरडे को मैदान में उतारा है।
बेटी श्रीजया को जिताना असल चुनौती
जिले की सबसे ज्यादा अहम भोकर सीट बनी हुई है। भाजपा ने अशोक चव्हाण के बेटी श्रीजया चव्हाण को उतारा है, तो कांग्रेस ने युवा नेता बालाजी उर्फ पप्पू कोंधेकर को। बालाजी के लिए तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी लगातार प्रचार कर रहे हैं। रोचक बात है कि तेलंगाना के विस चुनावों में अशोक चव्हाण खुद रेवंत के साथ प्रचार करते रहे हैं। पिछले तीन चुनावों से यह सीट चव्हाण परिवार के पास है। ऐसे में श्रीजया को जीत दिलाना अशोक चव्हाण की सबसे बड़ी चुनौती है।
नांदेड उत्तर में कांग्रेस का मुस्लिम दांव
पिछली बार शिवसेना से जीते नांदेड़ उत्तर के विधायक बालाजी कल्याणकर इस बार शिंदे गुट से मैदान में हैं, तो कांग्रेस से अब्दुल सत्तार उतरे हैं। जानकारों का कहना कि 40 साल बाद किसी पार्टी ने मुस्लिम को मैदान में उतारने का दांव चला है। यहां से एमवीए के सहयोगी दल उद्धव गुट ने भी संगीता डग को उतारा है। कहा जा रहा है कि हिंदू वोट बांटने के लिए ही उद्धव गुट और कांग्रेस ने यह खेल किया है। भाजपा से बागी मिलिंद देशमुख भी मैदान में हैं।