पाकिस्तान दोबारा सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर साहिब गलियारे को खोलने की तैयारी कर रहा है। इसकी जानकारी पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दी।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘पाकिस्तान सभी सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर साहिब गलियारे को फिर से खोलने की तैयारी कर रहा है। महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर 29 जून 2020 को गलियारे को फिर से खोलने के लिए हम भारतीय पक्ष को हमारी तत्परता से अवगत करा रहे हैं।’
सीमा पर तनाव के बीच पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरडोर खोलने की मंजूरी दे दी है. पाकिस्तान सभी सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर साहिब कॉरिडोर को फिर से खोलने की तैयारी कर रहा है.
‘पाकिस्तान सभी सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर साहिब गलियारे को फिर से खोलने की तैयारी कर रहा है। महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर 29 जून 2020 को गलियारे को फिर से खोलने के लिए हम भारतीय पक्ष को हमारी तत्परता से अवगत करा रहे हैं।’
दरअसल, भारत में कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए 15 मार्च को करतारपुर कॉरिडोर भी बंद करने का फैसला लिया गया था। पहले इसे 31 मार्च तक बंद किया गया था, मगर बाद में अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गय।
अब पड़ोसी मुल्क महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि पर इसे फिर से खोलने की तैयारी में है। शनिवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ट्वीट के जरिये यह जानकारी सांझा की है।
अपने ट्विट में कुरैशी ने कहा, ‘पाकिस्तान सभी सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर साहिब गलियारे को फिर से खोलने की तैयारी कर रहा है। महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर 29 जून 2020 को गलियारे को फिर से खोलने के लिए हम भारतीय पक्ष को हमारी तत्परता से अवगत करा रहे हैं।’
पाकिस्तान के नारोवाल जिले में रावी नदी के पास स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब का इतिहास करीब 500 साल से भी पुराना है। मान्यता है कि 1522 में सिखों के गुरु नानक देव ने इसकी स्थापना की थी।
उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्ष यहीं बिताए थे। लाहौर से इसकी दूरी 120 किलोमीटर है तो गुरदासपुर इलाके में भारतीय सीमा से यह लगभग 7 किलोमीटर दूर है।
लाखों लोगों की आस्था का सम्मान करते हुए भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित पवित्र गुरुद्वारे को जोड़ने के लिए कॉरिडोर बनाने का फैसला लिया था।
26 नवंबर 2018 को भारत सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर पैसेंजर टर्मिनल की नींव रखी तो ठीक दो दिन बाद 28 नवंबर को पाकिस्तान ने सीमा के दूसरी तरफ नींव पत्थर रखा था। इसके बाद गुरु नानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर 9 नवंबर 2019 को इसे जनता को समर्पित कर दिया गया था।
करतारपुर कॉरिडोर से पाकिस्तान को हर महीने 21 करोड़ रुपए कमाने का अनुमान था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पाकिस्तान यहां आने वाले हर श्रद्धालु से 20 डॉलर (करीब 1400 रुपए) फीस लेता है।
हालांकि दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक भारत से एक दिन में 5 हजार श्रद्धालु करतारपुर कॉरिडोर से दर्शन करने जा सकते हैं। 7 जनवरी तक 33 हजार 979 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जिसका औसत करीब 550 प्रतिदिन है।