महात्मा गांधी शांति-दूत थे: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

तीस जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनायी जा रही है. आजादी के 72 साल बाद भी गांधी के विचारों की प्रसांगिकता देश और दुनिया में महसूस की जाती रही है. पीएम मोदी बार-बार देश को महात्मा गांधी द्वारा बताए गए मार्गों पर आगे बढ़ने की नसीहत देते हैं. वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गांधी की पुण्यतिथि को उनके अनुकरणीय जीवन और असाधारण बलिदान को याद करने का अवसर बताया है.

उन्होंने नाथू राम गोडसे को कट्टरपंथी बताते हुए कहा कि गांधीजी की हत्या के कारण उनकी जीवन-गाथा की महान परिणति हुई. गांधी के जीवन की शुरुआत एक साधारण बालक मोहनदास के तौर पर हुई थी जिन्होंने जीवन पर्यन्त अपना विकास किया और आखिरकार शांति-दूत के रूप में अमर हो गए.

कोविंद ने गांधी की चंपारण यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि गांधी दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद चंपारण गए थे. यहां पर उन्होंने उत्पीड़ित किसानों को निडरता का संदेश देते हुए सत्याग्रह की शिक्षा दी थी. गांधी एक धर्मपरायण हिंदू थे और उनके जीवन में कट्टरता के लिए कोई जगह नहीं थी. वो दया भाव को सबसे बड़ा मानते थे. ईसा मसीह के संदेश ‘अपने पड़ोसी से प्यार करो’के सिद्धांत में गांधी की गहरी आस्था थी.

विभाजन के समय देश में फैले दंगे-फसाद का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा है कि जब पंजाब और बंगाल में सांप्रदायिक कत्लेआम की दहशत फैली थी तब ये गांधी ही थे जो नोआखली में नंगे पांव यात्रा कर हिंसक समूहों को शांति का संदेश हे रहे थे. आखिरकार वह दंगे की आग को खत्म करने में कामयाब हुए.

राष्ट्रपति ने लिखा, “लॉर्ड माउंटबेटन ने गांधीजी का यादगार उल्लेख करते हुए कहा है, जब पंजाब में 55 हजार सैनिकों की बाउंड्री-फोर्स दंगों के सैलाब में डूब गई, तब एक अकेले व्यक्ति (गांधीजी) की बाउंड्री-फोर्स ने बंगाल में शांति स्थापित कर दी.”

एक क्षण ऐसा भी आया था जब गांधीजी कठिनाइयों से उकता गए थे. राष्ट्रपति ने उस घटना को याद करते हुए कहा है कि अन्य लोगों के तरह गांधीजी के जीवन में भी शंका और निराशा के बादल आये थे. उनके कई आलोचकों ने तब उन्हें हिमालय जाकर संन्यासी की तरह बसने की सलाह दी थी. लेकिन उन्होंने खुद को आत्म निरीक्षण की पीड़ा से गुजारने का रास्ता चुना.

विश्व में फैली निराशा के बीच गांधी की प्रसांगिकता का जिक्र करते हुए कोविंद ने कहा कि दुनिया के अधिकांश हिस्सों में महसूस किया जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन और अनिश्चितताओं से भरे आज के परिवेश में मानवता के अस्तित्व को बचाने के लिए गांधी द्वारा बताया गया मार्ग ही सर्वश्रेष्ठ है.

गांधी के आदर्शों को समझाते हुए राष्ट्रपति ने कहा आज से 72 साल पहले करुणा को कायरता समझने वाले एक दिग्भ्रमित व्यक्ति ने गांधीजी की हत्या कर दी. लेकिन गांधी ने अपने बलिदान से देश के सामने महत्वपूर्ण संदेश छोड़ा है- संपूर्ण और नि:स्वार्थ प्रेम करो, विशेषकर उन लोगों से, जिन्हें गैर समझा जाता है.

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