मैरिस्सा पैपेन 26 साल की हैं. बेल्जियम की हैं और ‘प्लेबॉय’ मैगज़ीन की मॉडल हैं. अपनी न्यूड तस्वीरों के लिए काफ़ी मशहूर हैं. वह ख़ुद को एक ‘फ़्री-स्पिरिटेड एक्स्प्रेशनिस्ट’ कहती है जो अपने शरीर के ज़रिए खुद को एक्स्प्रेस करती हैं. धार्मिक स्थलों और ऐतिहासिक इमारतों में न्यूड फोटोशूट्स करने के लिए वह काफ़ी चर्चा में आईं हैं. पिछ्ले साल ही उन्होंने मिस्र के करनाक मंदिर में न्यूड फोटो खिंचवाए थे जिसकी वजह से वह जेल भी जा चुकीं हैं.
इस बार वह फिर खबर में आईं हैं तुर्की के इस्तानबुल में ऐसा करने के लिए. वह और ऑस्ट्रेलियन फ़ोटोग्राफ़र जेस्सी वॉकर इस्तानबुल के हेजिया सोफ़िया मस्जिद में गए थे. मैरिस्सा ने बुर्का पहन रखा था. मस्जिद में काफ़ी भीड़ थी. मौका देखते ही भीड़ से थोड़ा दूर हटकर मैरिस्सा ने अपना बुर्का ऊपर किया और अपना यौनांग दिखाते हुए पोज़ किया. इस हालत में जेस्सी ने उनकी तस्वीर ले ली. यह तस्वीर मैरिस्सा ने अपने इंस्टाग्राम पर ‘धार्मिक तानाशाही से आज़ादी’ कैप्शन से डाला है.
मस्जिद में मैरिस्सा
अपने ब्लॉग पर मैरिस्सा ने लिखा है कि यह फ़ोटो तब लिया गया था जब बाकि टूरिस्ट्स का ध्यान गाइड की बातों पर था. सबके अनजाने में वह और जेस्सी चुपके से भीड़ से अलग हुए और अपना काम निपटा लिया. फ़ोटो लेने में पांच सेकेंड ही लगे थे. मगर वह अच्छी नहीं आई थी तो अगले दिन उन्हें दोबारा जाना पड़ा था.
मैरिस्सा कहती हैं उन्हें ऐडवेंचर बहुत पसंद है. जिसकी वजह से वह यह फ़ोटोशूट्स करतीं हैं. उनके शब्दों मे, ‘मुझे ऐसा महसूस होता है जैसे मैं जेम्स बॉन्ड हूं और एक बहुत मुश्किल मिशन पर हूं’. इन तस्वीरों के ज़रिये वह लोगों को बेबाक और बेझिझक होकर ख़ुद को एक्स्प्रेस करने की प्रेरणा देना चाहती हैं. उनके लिए न्यूड तस्वीरें धर्म और राजनीति के ख़िलाफ़ बग़ावत करने का तरीका है. अभिव्यक्ति की आज़ादी है.
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नग्नता को प्राचीन समय में एक दिव्य शक्ति माना जाता था. प्राचीन मिस्र, ग्रीस, रोम में महिलाओं के यौनांग धार्मिक तावीज़ों पर बने होते थे. माना जाता था कि औरतें अपनी टांगें पसारने से बारिश ला सकती हैं, तूफ़ानों को रोक सकती हैं. इंडोनेशिया में दरवाज़ों पर नग्न औरतों की मूर्तियां लगी होती थीं बुरी नज़र से बचाने के लिए. वक्त बदलने पर यह विरोध प्रदर्शन का एक तरीका बन गया. 2002 में अफ्रीका में तेल की फैक्टरियां पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही थीं. तब वहां की महिलाओं ने अपनी वजाइना दिखाकर उनका विरोध किया था. 2004 में मणिपुर में भारतीय सेना ने थंगजम मनोरमा का बलात्कार किया था. तब 12 औरतों ने नग्न होकर सेना के कैंप के सामने विरोध प्रदर्शन किया था. यह कहते हुए कि, ‘इंडियन आर्मी, हमें रेप करो!’ मैरिस्सा के लिए नग्नता यह दोनों चीज़ें ही हैं. एक खूबसूरत, पॉज़िटिव चीज़ जो उन्हें अच्छा महसूस कराता है. और अत्याचारी शक्तियों के खिलाफ़ क्रांति का एक तरीका.
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अपनी हरकतों की वजह से उन्हें बहुत भला-बुरा सुनने को मिलता है. उन्हें पागल भी कहा गया है मगर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. वह कहतीं हैं, ‘यह शरीर भी आखिर भगवान ने बनाया है. फिर इसे दिखाने में गलत क्या है?’ मिस्र में गिरफ़्तार होने के बारे में उन्होंने कहा है, ‘लोग जब भी नंगा शरीर देखते हैं, उसे पोर्नोग्राफ़ी से जोड़ लेते हैं. मगर मैं उस मंदिर में कुछ गलत या अश्लील नहीं कर रही थी. यह बस उस संस्कृति को श्रद्धा जताने का मेरा तरीका था’.
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अपनी नग्नता में मैरिस्सा आज़ाद महसूस करती हैं और चाहती हैं कि हर किसी को अपने तरीके से ख़ुद को व्यक्त करने की आज़ादी हो. ‘पैदा होते ही हम सबको एक निश्चित राह पर धकेल दिया जाता है,’ वह कहती हैं. ‘हमें सोचने तक की आज़ादी नहीं होती कि हम उस पर चलना चाहते हैं या नहीं. मैं चाहती हूं हर कोई अपनी राह खुद चुन सके.’