मलिहाबाद आम मंडी पर लगा कोरोना का ग्रहण खरीद-फरोख्त हुआ बुरी तरह प्रभावित

जून में गुलजार रहने वाली मलिहाबाद फल मंडी में इस बार मायूसी सी छाई है। आम को खरीदार नहीं मिल रह हैं। इससे सीजन की शुरुआत में ही कारोबार आधा रह गया है।

आम उत्पादकों, कारोबारियों का कहना है कि कोरोना संक्रमण, महाराष्ट्र-दिल्ली से पलायन, अन्य राज्यों में सख्ती और फिर लॉकडाउन की आशंका ने खरीद-फरोख्त को बुरी तरह प्रभावित किया है।

मलिहाबाद फल मंडी के पदाधिकारी और कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि रोजाना 50 फीसदी आर्डर कैंसिल हो रहे हैं। दो दिन में 140 ट्रकों की बुकिंग के साथ 50 प्रतिशत आर्डर रद्द करने का फोन आ गया।

आम उत्पादक परवेज खान ने बताया कि सबसे ज्यादा आम दिल्ली, मुंबई, राजस्थान, पंजाब जाता है। इन राज्यों से बड़ी संख्या में पलायन हुआ है। इनमें ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जो फुटकर आम बेचते थे।

समस्या है कि इनके चले जाने से अब फुटकर बाजार में आम बेचेगा कौन।  रही कसर राज्यों में शासन-प्रशासन की सख्ती, संक्रमण के डर ने पूरी कर दी।

आम उत्पादक असलम कुरैशी, संजीत सिंह, मुन्ना, रामगोपाल, मुदीन अहमद, हामिद अहमद का कहना है कि अभी तो मंडी लगी है, ऐसे में इतना सन्नाटा पहली बार दिख रहा है। लग रहा कि सीजन खत्म होने जा रहा है।

बताया कि लॉकडाउन के दौरान आम पर रुज्जी कीड़े का हमला हुआ था, ठीक से धुलाई न होने से 50 फीसदी आम पहले ही नष्ट हो गया था।
सस्ते दाम पर बेचकर कम करेंगे घाटा

मलिहाबाद फल मंडी के अध्यक्ष नसीम बेग कहते हैं कि व्यापारी तो आए, लेकिन राजस्थान सीमा सील होने की खबर, लॉकडाउन फिर से लागू होने की आशंका में उन्होंने माल ले जाने से मना कर दिया। दो दिन पहले मेरा एक ट्रक उत्तराखंड से लौट आया। बुधवार को भी 35 ट्रक का ऑर्डर कैंसिल हुआ।

बृहस्पतिवार रात भी इधर सौदा हो रहा था, उधर से कैंसिल करने का फोन आ गया। यहां 70 आढ़ते हैं। एक-एक ट्रक भी गिन लें तो एक दिन में 70 ट्रक माल तो जाता ही है। घाटे से बचने को 25 रुपये में बिकने वाले आम को 17-18 रुपये में बेच रहे हैं।

वहीं, माल ब्लॉक में आम बागान मालिक वीरेन्द्र प्रताप सिंह कहते हैं कि इस बार बाग खरीदने वाले ही कम हैं। बागान मालिक बाग बेचकर तनाव मुक्त हो जाता है।

ऐसे में कारोबारी ही नहीं आए तो मालिक औने-पौने दाम पर बाग बेच गए। कैथुलिया निवासी श्याम सिंह के मुताबिक लॉकडाउन के चलते 50-60 फीसदी बाग नहीं बिके, इसका असर आगे भी पड़ेगा।

ढुलाई के लिए उत्पादकों को ट्रक उपलब्ध कराने वाले ट्रांसपोर्टर नदीम खान कहते हैं कि शुक्रवार को मुंबई के लिए सिर्फ चार ट्रक गए हैं। पिछले साल एक दिन में 50 रवाना हुए थे।

दिल्ली के लिए 70-80 गाड़ियों की जगह एक दिन में 10 गाड़ियां ही निकल रही हैं। पंजाब के लिए 25-30 की जगह चार ट्रक गए हैं। मंडी में ट्रकों की संख्या 92 प्रतिशत तक घट गई है।

 

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