मरीजों की दुर्दशा: पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के एंबुलेंस में न ऑक्सीजन है और न यहां बेड मिल रहा

पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एनएमसीएच) में कोरोना मरीजों की दुर्दशा का आलम क्या है, इसकी कई तस्वीरें सामने आई हैं.

पटना में कोविड-19 के इलाज का यह सबसे बड़ा अस्पताल है, लेकिन मरीजों को बेड मिलने में भी दिक्कतें आ रही हैं. यहां की हालत से इस अस्पताल में आने वाले लोगों की नींद उड़ी हुई है.

एनएमसीएच में इलाज कराने आईं अंजलि ने बताया कि उनके पति कोविड-19 के मरीज हैं. दानापुर से रेफर होकर उन्हें एंबुलेंस से एनएमसीएच लाया गया है, लेकिन यहां न तो एंबुलेंस में ऑक्सीजन है और न यहां बेड मिल रहा है.

एक और मरीज विमल प्रकाश का भी यही हाल है. अस्पताल में ऑक्सीजन के बगैर विमल प्रकाश की सांसें उखड़ रही हैं उधर उनकी पत्नी और ससुर फोन पर मिन्नतें करने में व्यस्त हैं कि किसी तरह एनएमसीएच में दाखिला मिल जाए.

बिहार के सबसे नामी अस्पताल में यह स्थिति किसी के लिए भी हौसला तोड़ने वाली होगी. एक तरफ सांसों से संघर्ष करता पति दूसरी तरफ पति की जिंदगी लंबी खींचने की जुगत में लगी पत्नी.

इस मामले में एनएमसीएच में मौजद मेडिकल स्टाफ भी लाचार दिख रहा है. यहां मेडिकल स्टाफ का कहना है कि वे सरकार के आदेश से मजबूर हैं. उनके लिए दानापुर के मरीज को एनएमसीएच में भर्ती करना मुश्किल है.

ऐसी भी शिकायतें हैं कि कोरोना के इलाज में लगे डॉक्टरों के लिए प्रोटेक्टिव किट्स की घोर कमी है. अस्पताल में मरीजों ने बताया कि जो डॉक्टर उन्हें देखने आए उनके पास पीपीई किट नहीं थी.

किसी तरह दानापुर से एनएमसीएच पहुंचे मरीज को वार्ड के अंदर ले जाया गया लेकिन वहां भी कोविड प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन नजर आया. बगैर किसी रोकटोक कोरोना मरीज की पत्नी भी वार्ड के भीतर दाखिल होती है.

मतलब साफ है कि अस्पताल में कोई प्रोटोकॉल नहीं है. ऐसे में कोरोना वाचरस को फैलने से भला कैसे रोका जा सकता है.

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