राज्य शासन द्वारा अनुदान प्राप्त मदरसों को रिपेयर, मेंटेनेन्स एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन के लिए हर साल 25 हजार के मान से राशि आवंटित की जाती है। सूत्रों का कहना है कि लोक शिक्षण संचालनालय ने 26 जून को इस मद के लिए राशि जारी कर दी थी। लेकिन ये अब तक मदरसों को जारी नहीं की गई।
मदरसों को लेकर जारी सियासी खींचतान का जो नुकसान हुआ है, वह अपनी जगह है। लेकिन इन हालात को अपने फायदे का अवसर बनाने की जुगत शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने लगा ली है। करीब दो माह पहले लोक शिक्षण संचालनालय से जारी की गई राशि को प्रदेश के कई जिला शिक्षा अधिकारियों ने रोक रखा है। इनमें दूर दराज के जिलों से हटकर ऐन राजधानी का जिला शिक्षा मुख्यालय भी शामिल है।
जानकारी के मुताबिक राज्य शासन द्वारा अनुदान प्राप्त मदरसों को रिपेयर, मेंटेनेन्स एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन के लिए हर साल 25 हजार के मान से राशि आवंटित की जाती है। सूत्रों का कहना है कि लोक शिक्षण संचालनालय ने 26 जून को इस मद के लिए राशि जारी कर दी थी। वित्तीय वर्ष 2024-25 हेतु जारी यह राशि प्रथम एवं द्वितीय त्रैमास हेतु (अप्रैल 2024 से सितम्बर 2024) के लिए जारी की गई थी। जानकारी के मुताबिक लोक शिक्षण संचालनालय ने प्रथम किश्त के रूप में 30 लाख 56 हजार की स्वीकृति दी थी।
मदरसों को मिलना थी इतनी राशि
लोक शिक्षण संचालनालय ने प्रदेश के कुल 1208 अनुदानित मदरसों के लिए यह जारी की थी। इस राशि से मदरसों को रिपेयर, मेंटेनेन्स एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन कार्य करवाना है। इसके लिए प्रथम तिमाही किस्त के रूप में हर मदरसा को 1800 दिए जाना हैं।
दी गई थी यह हिदायत
सूत्रों का कहना है कि लोक शिक्षण संचालनालय ने मदरसों के लिए राशि जारी करते हुए ताकीद की थी कि जिला शिक्षा अधिकरियों को आवंटित इस राशि को कोषालय के माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर तत्काल आवश्यक रूप से ई-बैंकिग के माध्यम से सीधे मदरसों के बैंक खातों में हस्तांतरित कर दी जाए। इस पत्र में यह भी कहा गया था कि विलंब की स्थिति में इसका पूर्ण उत्तरदायित्व संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी का होगा।
दो माह में आवंटित नहीं हुई राशि
जून माह में जारी की गई राशि का उपयोग सितंबर 2024 तक किया जाना था, लेकिन जानकारी के मुताबिक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों द्वारा अब तक इस राशि का वितरण नहीं किया है। इस अव्यवस्था में राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के कई जिला शामिल हैं।
सियासत में शामिल डीईओ
सूत्रों का कहना है कि जून माह में जारी की गई मदरसों की राशि के बाद ही प्रदेश में मदरसों को लेकर एक सियासी घमासान शुरू हो गया है। वैध और अवैध की चर्चाओं के बीच सैंकड़ों मदरसों की मान्यता निरस्त कर दी गई। इसके बाद भी बड़ी संख्या में मदरसों पर अब तक तलवार लटकी हुई है। सूत्रों का कहना है कि इन हालात को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारियों ने स्वतः ही संज्ञान लेकर शासन से आवंटित हो चुकी राशि को रोक लिया है।
मंत्री बोले जवाब लेंगे
इस मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने कहा कि मदरसों को लेकर जो भी मतभेद हैं, वह अवैध और नियम विरोधी काम करने वालों के लिए है। शासन से पंजीकृत और नियमों से चल रहे मदरसों को शासन पूरे सहयोग के साथ संचालित करने में सहयोग कर रही है। शासन द्वारा जारी राशि को रोकने वालों से जवाब तलब किया जाएगा। जब इस बारे में चर्चा के लिए जिला शिक्षा अधिकारी एनके अहिरवार को कॉल किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। व्हाट्स ऐप पर भेजे गए मैसेज का जवाब भी नहीं मिला।