आज के दौर में कहीं पानी तक मुफ्त में नहीं मिलता है, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मध्यप्रदेश के एक गांव में दूध फ्री यानि मुफ्त में मिलता है. अगर आपको भी नहीं पता तो आपको बता देते हैं कि ये गांव कोई और नहीं बल्कि बैतूल है. सुनने में अजीब लग रहा होगा लेकिन यहां के लोग दूध का व्यापर नहीं करते. लगभग तीन हजार की आबादी वाले बैतूल जिले के चूड़िया गांव में लोग दूध का व्यापार नहीं करते, बल्कि घर में उत्पादित होने वाले दूध का अपने परिवार में उपयोग करते हैं और अधिक उत्पादित होने पर इसे ज़रूरतमंदों को मुफ्त में देते हैं. यानि गाँव में कोई भी दूध को बेचा नहीं करता.
इस बारे में गांव के पुरोहित शिवचरण यादव बताते हैं, “गांव में लगभग 100 साल पहले संत चिन्ध्या बाबा हुआ करते थे. वे गोसेवक थे, उन्होंने गांव वालों से दूध और उससे निर्मित सामग्री का विक्रय न करने का आह्वान किया, गांव वालों ने बाबा की बात मानी, उस के बाद से यहां दूध नहीं बेचा जाता है.” “अब दूध न बेचना परंपरा बन गई है. अब तो यह धारणा है कि यदि दूध का कारोबार करेंगे तो नुकसान होगा.”
गांव के लोग बताते हैं कि उन्होंने अपने पूर्वजों से सुना है कि चिन्ध्या बाबा ने ग्रामीणों को सीख दी कि दूध में मिलावट करके बेचना पाप है, इसलिए गांव में कोई दूध नहीं बेचेगा और लोगों को दूध मुफ्त में दिया जाएगा. संत चिन्ध्या बाबा की बात पत्थर की लकीर बन गई और तभी से गांव में दूध मुफ्त में मिल रहा है. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि तीन हजार की आबादी वाले गांव में 40 प्रतिशत आबादी आदिवासी वर्ग की है, वहीं 40 प्रतिशत लोग ग्वाले हैं, जिस वजह से यहां बड़ी संख्या में मवेशी पालन होता है. इसके अलावा यहां अन्य जाति वर्ग की आबादी 20 प्रतिशत है.