चुनाव से कुछ समय पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए रवनीत बिट्टू लुधियाना से चुनाव हार गए हैं। इसके बाद भी उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
केंद्रीय मंत्री बनने के बाद पंजाब भाजपा के नेता रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि मुझे पहले ही जिम्मेदारी मिल चुकी है… प्रधानमंत्री मुझे जो भी मंत्रालय देंगे, मैं उसे स्वीकार करूंगा।
बिट्टू ने कहा कि सांसद न होने पर भी मंत्री बनाए जाने से बड़ी कोई बात नहीं है… पीएम नरेंद्र मोदी जो भी कहते हैं, वह कभी अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटते। उन्होंने कहा कि पंजाब के मुकाबले यूपी और बिहार को संभालना ज्यादा मुश्किल है. अगर वहां की स्थिति संभाली जा सकती है, तो पंजाब को भी आसानी से संभाला जा सकता है।
बिट्टू ने कहा कि कांग्रेस ने कभी पंजाब के लिए काम नहीं किया। पंजाब के हर जिले में नारकोटिक्स का दफ्तर होगा… किसानों का मुद्दा मेरी जिम्मेदारी है और मैं सुनिश्चित करूंगा कि इसका समाधान हो।
यूथ कांग्रेस के प्रधान से लेकर केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचे बिट्टू
पंजाब में आतंकवाद को खत्म करने के लिए अपनी शहादत देने वाले पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू का पंजाब की राजनीति में बड़ा नाम है। वह तेज तर्रार नेताओं में शुमार हैं। पंजाब में सिख समुदाय को साधने के लिए मोदी ने कैबिनेट में दो सिख चेहरों को शामिल किया है। इनमें हरदीप पुरी को लगातार दूसरी बार मंत्री पद मिला है। इसके अलावा लुधियाना से रवनीत बिट्टू को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
रवनीत बिट्टू ने यूथ कांग्रेसी लीडर को तौर पर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। उन्होंने पंजाब यूथ कांग्रेस के प्रधान की भी जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद वर्ष 2009 में बिट्टू ने श्री आनंदपुर साहिब से लोकसभा का चुनाव लड़ा और अपनी संसदीय पारी की शुरुआत की। इस चुनाव में बिट्टू ने दिग्गज अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा को शिकस्त दी थी।
इसके बाद कांग्रेस ने उनकी सीट में बदलाव किया और उनको लुधियाना संसदीय सीट पर चुनाव लड़ाया। लगातार पंद्रह साल तक बिट्टू कांग्रेस से सांसद रहे। वर्ष 2014 एवं 2019 में वे लुधियाना संसदीय सीट पर लगातार दो बार जीत कर सांसद बने। वर्ष 2014 में उन्होंने आम आदमी पार्टी के हरविंदर सिंह फूलका एवं वर्ष 2019 में लोक इंसाफ पार्टी के सिमरजीत सिंह बैंस को हराया था। बिट्टू राहुल गांधी के काफी करीब रहे और पंद्रह साल तक बिट्टू ने कांग्रेस का झंडा बुलंद किया, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले उनको कांग्रेस से मोह भंग हो गया और वे भाजपा में शामिल हो गए। बिट्टू ने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गए। बिट्टू के सितारे बुलंदियों पर हैं और उनको मोदी कैबिनेट में जगह मिल गई।
नशे के खिलाफ बिट्टू ने चलाया था अभियान
पंजाब में नशे की गर्त में डूब रही जवानी को बचाने के लिए बिट्टू ने वर्ष 2010 में अभियान चलाया था और बिट्टू ने सूबे को नशा मुक्त करने के लिए 45 दिन तक 1500 किलोमीटर तक पैदल चले और लोगों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया। इसके अलावा रवनीत बिट्टू को कांग्रेस ने वर्ष 2021 में कुछ वक्त के लिए लोकसभा में अपनी पार्टी का लीडर भी बनाया था, जब लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में व्यस्त थे।