मंगल पर नासा के रोवर की लैंडिंग के बीच इसरो का बड़ा एलान, जानें लाल ग्रह के लिए भारत की योजना

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का यान (पर्सिवेरेंस) शुक्रवार को तड़के 203 दिनों की यात्रा के बाद लाल ग्रह की सतह पर उतर गया। इसकी लैंडिंग भारतीय समयानुसार दो बजकर 25 मिनट पर हुई। अब तक के सबसे जोखिम भरे और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण इस अभियान का उद्देश्य यह पता लगाना है कि मंगल ग्रह पर क्या कभी जीवन था। इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुंसधान संगठन यानी इसरो ने एक बड़ी घोषणा की है। इसरो का कहना है कि मंगल पर उसका अगला अभियान एक ऑर्बिटर हो सकता है।

इसरो ने अपनी मार्स ऑर्बिटर मिशन-2 की अगली योजना की घोषणा करते हुए कहा कि अब उसकी योजना भविष्य के प्रक्षेपण के मौके तलाशने के लिए मंगल पर एक ऑर्बिटर मिशन भेजने की है। हालांकि कुछ अन्य बड़ी परियोजनाएं भी कतार में हैं। समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक मंगलयान की सफलता के बाद इसरो ने शुक्र ग्रह पर भी अभियान को भेजने का फैसला किया है। हालांकि जारी बयान में कहा गया है कि इसरो अभी चंद्रयान-3 और गगनयान पर ध्‍यान केंदित कर रहा है।

हाल में आई समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्टों में कहा गया था कि कोरोना संकट के चलते इसरो की परियोजनाओं में में देर हुई है। इसरो चंद्रयान -3 के जरिए एक बार फिर एक रोवर चंद्रमा की सतत पर उतारेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभियान इस साल के अंत में भेजा जाएगा। मालूम हो कि इससे पहले चंद्रयान-2 सफल नहीं हो पाया था। भारत समेत दुनियाभर की नजरें इस अभियान पर थीं। सनद रहे कि इसरो की योजना 2022 तक गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की है।

उल्‍लेखनीय है कि मंगलयान किसी दूसरे ग्रह पर पहुंचने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष अभियान था। इसने हजारों तस्वीरें भेजी हैं जिनका अभी भी अध्‍ययन जारी है। शुक्रवार 19 फरवरी को तड़के नासा के रोवर पर्सवियरन्स ने मंगल की सतह पर सफल लैंडिंग की। नासा के अभियान के तहत लाल ग्रह से चट्टानों के टुकड़े भी लाने का प्रयास होगा जो मंगल ग्रह पर क्या कभी जीवन था… इसका जवाब खोजने में अहम साबित हो सकते हैं। पर्सिवेरेंस नासा द्वारा भेजा गया अब तक का सबसे बड़ा रोवर है।

 

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