सावन के प्रत्येक मंगलवार पर मंगला गौरी व्रत करने का विधान है। यह दिन मां पार्वती को समर्पित है। मान्यता है कि यह व्रत करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है और पति को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं। आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत पर किस प्रकार मां पार्वती की पूजा-अर्चना करनी चाहिए?
पंचांग के अनुसार, 22 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने वाला है। इस माह में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही सभी मुरादें पूरी करने के लिए सोमवारी व्रत भी किया जाता है। इसके अलावा महादेव का विधिपूर्वक अभिषेक कर प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है।
मंगला गौरी व्रत 2024 शुभ मुहूर्त (Mangla Gauri Vrat 2024 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 23 जुलाई को सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक है। अतः सावन माह का पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई को रखा जाएगा।
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि (Mangla Gauri Vrat Puja Vidhi)
मंगला मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। मंदिर की साफ-सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद पूजा की शुरुआत करें। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा विराजमान करें। अब प्रभु का अभिषेक कर अक्षत, कुमकुम, फूल, फल, माला अर्पित करें। धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं और पति की दीर्घायु के लिए कामना करें। वहीं, मां पार्वती का सोलह श्रृंगार करें। इसके बाद देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जप करें। अब खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
मंगला गौरी व्रत तिथि
पहला मंगला गौरी व्रत – 23 जुलाई
दूसरा मंगला गौरी व्रत – 30 जुलाई
तीसरा मंगला गौरी व्रत – 06 अगस्त
चौथा मंगला गौरी व्रत – 13 अगस्त
इन मंत्रों का करें जप
मां पार्वती के मंत्र
ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः
ऊँ पार्वत्यै नमः
ऊँ साम्ब शिवाय नमः
ऊँ गौरये नमः
स्वयंवर पार्वती मंत्र
ॐ ह्रीं योगिनी योगिनी योगेश्वरी योग भयंकरी सकल स्थावर जंगमस्य मुख हृदयं मम वशं आकर्षय आकर्षय नमः॥
विवाह हेतु मंत्र
ॐ नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं ह्रीं ॐ गोरा पार्वती देव्यै नमः माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वर: बान्धवा: शिवभक्ताश्च, स्वदेशो भुवनत्रयम ॥
सुख-शांति हेतु मंत्र
‘मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि। कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि।
प्रेम विवाह हेतु मंत्र
हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।
सफलता प्राप्ति हेतु मंत्र
ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा।