झारखण्ड के कुछ हिस्सों में जलसंकट का भयानक रूप देखने को मिल रहा है, यहां लातेहार के नक्सल प्रभावित हेरहंज प्रखंड के कटांग गांव में दुधमटिया टोला है, जहाँ लोग पानी की बून्द-बून्द को तरस रहे हैं. इस टोले में अनुसूचित जाति के करीब 50 लोग रहते हैं, इन लोगों के लिए सड़क, बिजली, शिक्षा, बालविकास, जनवितरण और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं तो सपने के सामान है, क्योंकि यहां के लोगों को तो पीने के लिए पानी भी नहीं मिल पा रहा है. 
टोले में न कोई कुआं है न कोई हैंडपंप, यहां के निवासी नाले के पानी से प्यास बुझाने को मजबूर हैं, गांव की बरती देवी कहती हैं कि नाले से भी पानी लाने के लिए आधा किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, ग्रामीण हों या जानवर सब इसी नाले से अपनी प्यास बुझाते हैं. इस तरह दूषित पानी पीने से वहां के लोगों में बीमारियां भी फ़ैल रही हैं और इलाज करने वाला भी वहां कोई नहीं है.
दरअसल, नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से विकास, झारखण्ड के इस गाँव से कोसों दूर है. हालांकि अब नक्सलवाद ख़त्म होने की कगार पर है, लेकिन फिर भी यहां के लोग नारकीय यातना झेलने को मजबूर हैं. ग्राम वासी बताते हैं कि गाँव में कुआँ बनवाने या हैंडपंप लगवाने के लिए उन्होंने कई बार पंचायत और अधिकारीयों के सामने गुहार लगाई, लेकिन प्रशासन ने इस ओर ध्यान नही दिया. हालांकि, अब ग्राम स्वराज अभियान के तहत हेरहंज प्रखंड में विकास की लकीर खीचने की तैयारी की जा रही है, दुधमटिया टोले के लोग उम्मीद लगाए हैं कि उनके हिस्से में कुछ आता है या नहीं.
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