भारत 6.15 करोड़ डॉलर से कराएगा श्रीलंका के बंदरगाह का विकास

श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारने के बाद अब भारत पड़ोसी देश के कांकेसंथुराई बंदरगाह को विकसित करने का पूरा खर्च 6.15 करोड़ डालर उठाएगा। भारत द्वारा सहमति जताए जाने के बाद श्रीलंका की कैबिनेट ने बंदरगाह के नवीनीकरण कार्य को शुरू कराने का निर्णय लिया। वहीं आइसीजे ने इजरायल को सहायता देने से रोकने की अपील खारिज कर दी।

श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारने के बाद अब भारत पड़ोसी देश के कांकेसंथुराई बंदरगाह को विकसित करने का पूरा खर्च 6.15 करोड़ डालर उठाएगा। भारत द्वारा सहमति जताए जाने के बाद श्रीलंका की कैबिनेट ने बंदरगाह के नवीनीकरण कार्य को शुरू कराने का निर्णय लिया।

परियोजना के लिए दो मई 2017 को श्रीलंका की कैबिनेट ने मंजूरी दी थी।श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में तकरीबन 16 एकड़ में फैला कांकेसंथुराई बंदरगाह पुडुचेरी के कराईकल बंदरगाह से महज 56 नाटिकल मील (तकरीबन 104 किमी) की दूरी पर स्थित है। तमिलनाडु के नागपत्तिनम से जाफना के निकट स्थित कांकेसंथुराई बंदरगाह को जोड़ने वाली यात्री जहाज सेवा तीन तकरीबन साढ़े तीन घंटे में 60 नाटिकल मील (तकरीबन 111 किमी) की दूरी तय करती है।

श्रीलंका सरकार ने बयान जारी कर कहा कि परामर्श सेवा एजेंसियों द्वारा प्रदान की गई इक्विटी का आर्थिक मूल्य (ईवीई) अनुमानित लागत प्रासंगिक ऋण राशि से अधिक होने के कारण परियोजना के क्रियान्वयन में देरी हुई। इसके बाद भारत सरकार से चर्चा की गई और अब परियोजना को सार्वजनिक निजी भागीदारी पद्धति (पीपीपी मोड) के तहत पूरा करने की योजना है।

आइसीजे ने इजरायल को सहायता देने से रोकने की अपील खारिज की

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) ने मंगलवार को निकारागुआ के अपील को खारिज कर दिया। निकारगुआ ने जर्मनी द्वारा इजरायल को उपलब्ध कराई जा रही सैन्य और अन्य सहायता देने से रोकने और गाजा में संयुक्त राष्ट्र सहायता एजेंसी को धन नवीनीकृत करने का आदेश देने की मांग की थी। आइसीजे ने कहा कि ऐसा आदेश देने के लिए कानूनी शर्तें पूरी नहीं की गईं।

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत के अध्यक्ष ने निकारागुआ के अनुरोध पर न्यायाधीशों का फैसला सुनाने के लिए मंगलवार को सुनवाई शुरू की। फलस्तीनियों के पुराने सहयोगी निकारागुआ ने आरोप लगाया था कि जर्मनी इजरायल को हथियार और अन्य सहायता भेजकर नरसंहार को बढ़ावा दे रहा है। हालांकि जर्मनी ने आरोपों को खारिज कर दिया।

जर्मनी ने मामले की सुनवाई के दौरान दलील दी कि गत सात अक्टूबर को हमास अतिवादियों द्वारा इजरायल में घुसपैठ के बाद गाजा में शुरू हुए संघर्ष के बाद से उसने मुश्किल से कोई हथियार निर्यात किया है। निकारगुआ और जर्मनी के मामले में कोई पक्ष्र नहीं होने के बावजूद इजरायल ने ²ढ़ता से कहा कि गाजा पर किए उसके हमले नरसंहार की श्रेणी में नहीं है और वह आत्मरक्षा में कार्य कर रहा है।

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