भारत से जंग बाद में, पहले अपना घर बचाए पाकिस्तान, संकट में अर्थव्यवस्था

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भयावह हालत में पहुंच गई है. इकोनॉमी के गंभीर संकट की तरफ बढ़ते जाने के बावजूद वहां के कई नेता पूर्वाग्रह से प्रेरित होकर जंग का खतरा बताते हुए भारत के खिलाफ जिहाद की बात कर रहे हैं. पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने हाल में राजकोषीय विवरण जारी किया है, जिससे यह खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भयावह स्थिति में है.

करीब 9 फीसदी का राजकोषीय घाटा

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार के एक साल पूरे होने पर राजकोषीय घाटा 8.9 फीसदी दर्ज किया गया, जो शायद देश के इतिहास में सर्वोच्च है. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में राजस्व काफी घट गया है, जबकि खर्च उतना ही है जितना पिछले साल था.

हर संकेत है बुरा

सही मायने में खर्च पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ चुका है, जबकि राजस्व यथावत है. सभी प्रमुख वित्तीय संकेतक 30 जून, 2019 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में गिरावट दर्शाते हैं.  

आर्थिक आंकड़े बताते हैं कि खर्च पर नियंत्रण के लिए जो भी कदम उठाए गए, वे नाकाम रहे जबकि राजस्व में भारी गिरावट आई, जो वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में पहले ही शुरू हो चुकी थी. राजकोषीय घाटे में ज्यादा वृद्धि अंतिम तिमाही में आई.  

पूर्व आर्थिक सलाहकार और अब नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलोजी में बिजनेस स्कूल के डीन अशफाक हसन खान ने कहा, ‘मैंने अपने पूरे करियर में कभी राजकोषीय घाटे का इतना उच्चस्तर नहीं देखा.’

एक साथ कई चुनौतियां

आतंकी संगठनों की फंडिंग की निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था ‘फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स’ (FATF) की ग्रे लिस्ट में डाले जाने के बाद अब पाकिस्तान पर एशिया पैसिसिफ समूह (एपीजी) से ब्लैकलिस्ट होने का खतरा भी मंडरा रहा है.

ब्लैकलिस्ट होने की स्थिति में आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए कई चुनौतियां एक साथ पेश हो जाएंगी. पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था वैश्विक वित्तीय व्यवस्था से बिल्कुल कट जाएगी. इसके अलावा, पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मई में स्वीकृत हुए 6 अरब डॉलर के रेस्क्यू पैकेज पर भी खतरा मंडराएगा और उसकी अर्थव्यव्यवस्था की विश्वसनीयता खराब होने से निवेश भी गिर जाएगा.

पाकिस्तान का सार्वजनिक कर्ज बढ़कर 27.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस तरह पाकिस्तान अब कर्ज के लिए निर्धारित उच्चतम सीमा को भी पार कर चुका है और अर्थव्यवस्था तथा उसके लोगों का भविष्य खतरे में पड़ गया है.

कुछ महीने पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने यह अनुमान जारी किया था कि 2018-19 में पाकिस्तान का वित्तीय घाटा जीडीपी के 7.9 फीसदी तक होगा और 2019-20 में यह बढ़कर 8.7 फीसदी हो जाएगा.

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