बीते कुछ दिनों से देश में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से जनता हलकान हो रही है। इसके लिए सरकार पर निशाना साधा जा रहा है, लेकिन सच तो यह है कि दुनिया के तकरीबन हर देश में पेट्रोल की कीमतें बढ़ रही हैं। 2015 में ब्रेंट क्रूड की कीमत 66 डॉलर प्रति बैरल थी। अब 79 डॉलर प्रति बैरल है। ब्लूमबर्ग और ग्लोबल पेट्रोल प्राइसेज डॉट कॉम के आंकड़ों को संकलित करके दिस इज मनी नामक वेबसाइट ने पेट्रोल-डीजल के दामों में सर्वाधिक वृद्धि वाले दस देशों की सूची जारी की है। इसमें हांगकांग शीर्ष पर है। दूसरे व तीसरे स्थान पर क्रमश: आइसलैंड व नॉर्वे हैं जो अपनी महंगी जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं।
कैसे तय होते हैं दाम
सबसे पहले खाड़ी या दूसरे देशों से तेल खरीदते हैं, फिर उसमें ट्रांसपोर्ट खर्च जोड़ते हैं। क्रूड आयल यानी कच्चे तेल को रिफाइन करने का व्यय भी जोड़ते हैं। केंद्र की एक्साइज ड्यूटी और डीलर का कमीशन जुड़ता है। राज्य वैट लगाते हैं और इस तरह आम ग्राहक के लिए कीमत तय होती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में बदलाव घरेलू बाजार में कच्चे तेल की कीमत को सीधे प्रभावित करता है। भारतीय घरेलू बाजार में पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार यह सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से है। अंतरराष्ट्रीय मांग में वृद्धि, कम उत्पादन दर और कच्चे तेल के उत्पादक देशों में किसी तरह की राजनीतिक हलचल पेट्रोल की कीमत को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
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