भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए तहव्वुर राणा ने चली आखिरी चाल

मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) को भारत में लाने का रास्ता साफ हो गया है।  अमेरिकी अदालत ने उसके प्रत्यर्पण पर मुहर लगा दी है। इसी बीच उसके वकील ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से उसे बचाने की आखिरी कोशिश की है।  

राणा के वकील ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निचली अदालत के फैसले की समीक्षा करने की अपील की है। याचिका में राणा के वकील ने दोहरे खतरे के सिद्धांत (principle of double jeopardy) का हवाला दिया है। इस सिद्धांत के मुताबिक, किसी अपराधी पर एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

26/11 हमले का आरोपी है राणा 

राणा ने तर्क दिया कि उसे इलिनोइस (शिकागो) की संघीय अदालत में 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले से संबंधित आरोपों पर मुकदमा चलाया गया और बरी कर दिया गया था। अब भारत भी उन्हें आरोपों के आधार पर प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है। हालांकि अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि सरकार यह नहीं मानती कि जिस आचरण के लिए भारत प्रत्यर्पण चाहता है, वह यही मामला है।

लॉस एंजेलिस की जेल में है बंद 

अमेरिकी सरकार भी राणा के प्रत्यर्पण के लिए तैयार है और बीती 16 दिसंबर को ही अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी प्रीलोगर ने सुप्रीम कोर्ट से राणा की याचिका को खारिज करने की अपील की थी। बता दें कि फिलहाल राणा, वर्तमान में लॉस एंजेलिस की जेल में बंद है। जानकारी के मुताबिक, 63 वर्षीय राणा ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी डेविड कोलमन हेडली को मदद पहुंचाई थी। हेडली मुंबई अटैक का मास्टरमाइंड है। भारत उसके भी प्रत्यर्पण की मांग लंबे समय से करता आ रहा है। अब भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को लाने का रास्ता साफ हो गया है।

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