भारत की प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति से कोरोना वायरस के इलाज में राहत मिल सकती: त्रिकटु का सेवन लाभदाई

कोरोना वायरस की वजह से कई देशों में अफरा-तफरी का माहौल है। अभी तक दुनिया भर के डॉक्टर एलोपैथी में इस वायरस का इलाज खोजने में असमर्थ हैं।

जबकि, इस वायरस से सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। ऐसी स्थिति में भारत की प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति से इस वायरस के इलाज में थोड़ी राहत मिल सकती है। देश के तमाम आयुर्वेदाचार्य भी कोरोना वायरस से राहत दिलाने की बात कर रहे हैं।

दिल्ली के शिवाजी पार्क में स्थित आयुर्वेदिक कैंसर अस्पताल के प्रमुख वैद्य भरत देव मुरारी बताते हैं कि आयुर्वेद में त्रिकटु को किसी भी प्रकार के अनजान ज्वर (बुखार) के उपचार के लिए सर्वोत्तम बताया गया है।
त्रिकटु सोंठ, पिप्पली और मरिच के मिश्रण से बनता है। तीनों जड़ी बूटियों की एक-एक ग्राम मात्रा को एक चम्मच शहद में मिलाकर सुबह शाम सेवन करना चाहिए।

इसके अलावा गिलोय, तुलसी, वासा, ररिद्रा का काढ़ा बनाकर पीना कोरोना वायरस जैसी बीमारी में लाभदायक हो सकता है। भरत देव मुरारी कहते हैं कि कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति को शुरुआत में सांस लेने मे दिक्कत, सिरदर्द, नाक बहना, थकान जैसी परेशानियां होती हैं। आयुर्वेद में इन लक्षणों वाली बीमारी को जनपदोध्वंश व्याधि कहते हैं।

इस व्याधि से मुक्ति के लिए तुलसी, सरसों, कपूर, आम के पेड़ की लकड़ी, गोबर के उपले और गाय के घी का हवन किया जाता है। आयुर्वेदिक कैंसर अस्पताल के प्रधान अतुल सिंघल कहते हैं कि कोरोना वायरस और इसके उपचार के संबंध में लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

गौरतलब है कि इस वायरस से अब तक चीन में सैकड़ों लोग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि, भारत में इससे संक्रमित मरीजों के पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। चीन में भी अब एलोपैथी की बजाय परंपरागत पद्धतियों को ही प्राथमिकता दी जा रही है।

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