भारत आजादी की 73वीं सालगिरह मना रहा है। इतने वर्षों में कई मामलों में भारत ने नई इबारतें लिखी हैं। तस्वीर का एक पहलू यह हैं कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, यहां की सभ्यता तकरीबन दस हजार वर्ष पुरानी है। इस सरजमीं पर अंग्रेजों के कदम रखने से पहले यह विश्व का सबसे धनी देश था और यहीं नहीं दुनिया को विज्ञान से लेकर चिकित्सा तक का इल्म हमने कराया। पर अंग्रेजों ने सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत को लूटा। गुलामी से मुक्त होने के बाद भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता यही थी कि कैसे भारत को उसका गौरव वापस दिलाया जाए। इन 73 सालों में हम अपने इस मकसद में पुरजोर तरीके से कामयाब हुए हैं।
छह दशकों में जीडीपी ने ऐसे बनाए कीर्तिमान
भारत आजादी की 73 वीं वर्षगांठ मना रहा है। इन छह से सात दशकों में भारत ने अर्थव्यवस्था के स्तर पर साल दर साल नए कीर्तिमान गढ़े है। बीते कुछ सालों में भारतीय इकोनॉमी (Indian Economy) को दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में शुमार किया जा रहा है।
चीन, रूस और ब्राजील के साथ भारत दुनिया की सबसे बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। देश की अर्थव्यवस्था ने एक ओर जहां खुशहाली का मौसम देखा तो दूसरी ओर उसने आर्थिक संकट के उस पतझड़ का भी सामना किया जिसने देश के खजाने को गिरवी रखने के हालात पैदा कर दिए। 1991 में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ी है।
विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 1960 में भारत की जीडीपी 37029883875 डॉलर (3700 करोड़ डॉलर) से बढ़कर 2019 में 2875142314811.85 (2.8 लाख करोड़ डॉलर) हो गई। 1960 के दशक में बैंको का राष्ट्रीयकरण किया तो 1970 के दशक में हरित क्रांति ने देश में कृषि को एक नया मुकाम दे दिया।
1990 में जीडीपी 32 हजार करोड़ डॉलर रह गई। 1991 में देश ने आर्थिक उदारीकरण का दौर देखा जिसने देश की इकोनॉमी में बूम ला दिया। इस दौर में प्राइवेटाईजेशन तेजी से शुरू हुआ।
कंप्यूटर और आईटी सेक्टर ने देश में रोजगार के नए मार्गों का सृजन किया। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में देश में नोटबंदी, जीएसटी, जनधन योजना लागू करने जैसे क्रांतिकारी फैसले हुए जो बड़े गेमचेंजर साबित हुए। इसी दौर में भारत में डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिला। 2017 में जीडीपी 2.6 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर थी जो 2019 में बढ़कर 2.8 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गई।