पीएम मोदी ने कहा कि यहां पर लोकतंत्र को लेकर उपदेश दिए गए, भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है कि जिसकी इस तरह खाल उधेड़ी जा सके. टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन पर पलटवार करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने जिन शब्दों का प्रयोग किया, तो ऐसा लगा कि वो बंगाल की बात कर रहे हैं या देश की. वहीं, प्रकाश सिंह बाजवा भी जब बात कर रहे थे तो लगा कि वो कांग्रेस काल के आपातकाल, 1984 के दंगों का जिक्र करेंगे.
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है, ये एक ह्यूमन इंस्टीट्यूशन है. भारत का इतिहास लोकतांत्रिक मूल्यों से भरा हुआ है, प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है.
आज देशवासियों को भारत के राष्ट्रवाद पर हो रहे हमलों से बचाना जरूरी है. भारत का राष्ट्रवाद ना तो संकीर्ण है, ना ही आक्रामक है. ये सत्यम शिवम सुंदरम के मूल्यों से प्रेरित है’. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में बताया कि ये शब्द नेताजी सुभाष चंद्र बोस के हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें दुनिया से लोकतंत्र सीखने की जरूरत नहीं है, भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है. जब देश में आपातकाल लगा, तो न्यायपालिका और देश की क्या हालत थी सभी को पता है. लेकिन देश का लोकतंत्र इतना ताकतवर है कि आपातकाल को हमने पार कर दिया.