भारत चौथा सबसे शक्तिशाली देश है जो एशिया प्रशांत क्षेत्र को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। सिडनी स्थित लॉवी इंस्टीट्यूट ने 2020 के एशिया पावर इंडेक्स में 26 देशों और क्षेत्रों की सूची जारी की है। इसमें पहले स्थान पर अमेरिका है, लेकिन वह अपना गौरव को खो रहा है। इस सूचकांक में चीन दूसरे स्थान पर है और पिछले साल की अपेक्षा दोनों के बीच का अंतर कम हुआ है।
घट रही है अमेरिका की ख्याति : इस इंडेक्स के अनुसार, एशिया प्रशांत क्षेत्र को प्रभावित करने वाला सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका है। अमेरिका ने क्षेत्र में अपने पहले स्थान को तो बचा लिया है, लेकिन दो साल पहले दस अंकों की बढ़ोतरी अब घटकर आधी रह गई है। शोध अध्ययन के प्रमुख और लॉवी के एशिया पावर एंड डिप्लोमेसी प्रोग्राम के निदेशक हर्वे लेमाहियु के मुताबिक, अमेरिका की घटती साख का कारण कोविड-19 महामारी से निपटने की लचर योजना, कई व्यापारिक झगड़े और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कई बहुपक्षीय समझौतों और विभिन्न संगठनों से हाथ खींचना है।
चीन के कूटनीतिक दबदबे में भी कमी : चीन लगातार तीसरे साल दूसरे स्थान पर काबिज है। बावजूद इसके कोरोना संक्रमण की महामारी की गंभीरता के बारे में जानकारी दबाए रखने के आरोप के बाद से ही उसके कूटनीतिक दबदबे में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। इसमें चीन की आक्रामक नीति का भी काफी योगदान है। हालांकि लेमाहियु ने कहा कि इस बात की अधिक संभावना है कि चीन इस दशक के आखिर तक अमेरिका से भी आगे निकल जाए।
भारत का रक्षा नेटवर्क चीन से इक्कीस : जापान के बाद सूचकांक का चौथा सबसे शक्तिशाली देश भारत है। भारत ने सालभर में अपनी आर्थिक क्षमता में वृद्धि की है और सैन्य क्षमताओं को भी बढ़ाया है। हालांकि भारत ने सर्वाधिक जिस चीज पर काम किया है, वह रक्षा नेटवर्क है। चीन के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर भारत लगातार मजबूत हो रहा है। इस सूचकांक के आधार पर रक्षा नेटवर्क के लिहाज से भारत अब चीन से इक्कीस है। हालांकि साल भर में भारत का आर्थिक रिश्तों के साथ ही कूटनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव भी कम हुआ है।
जापान और ऑस्ट्रेलिया का भी रक्षा नेटवर्क बढ़ा : तीसरे स्थान पर मौजूद जापान ने भी भारत की तरह ही अपने रक्षा नेटवर्क को बढ़ाया है। वहीं छठे स्थान पर मौजूद ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक रिश्ते बेहतर हुए हैं। साथ ही रक्षा नेटवर्क के साथ कूटनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव बढ़ा है। भारत के साथ जापान और ऑस्ट्रेलिया का रक्षा नेटवर्क मजबूत होना इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती चुनौती से निपटने की ओर भी इशारा करता है।