प्रभावी निगरानी बनाए रखने और संचालन की तत्परता को बढ़ाने के लिए सैनिकों द्वारा अपनाए गए उपायों को देखने के बाद जनरल रावत ने कहा कि केवल भारतीय सैनिक ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सतर्क रह सकते हैं. भारतीय सैनिकों को कोई नहीं रोक सकता है. वह अपने कर्तव्य के प्रति अडिग हैं.
जनरल बिपिन रावत ने अभी हाल ही में कहा था कि समान विचारधारा वाले साझेदारों को भारत-प्रशांत क्षेत्र में अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए चीन के प्रयासों के खिलाफ अवरोध बनाने की जरूरत है. आज भारत बढ़ी हुई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है और शांति और स्थिरता के लिए सबसे अच्छा गारंटर है.
उन्होंने कहा कि भारत जैसे देशों के लिए भूमि और सीमाओं की सुरक्षा एक प्राथमिक चिंता है. इसलिए, खतरों और चुनौतियों की प्रकृति के सही आकलन के आधार पर हमारे सशस्त्र बलों द्वारा किए जाने वाले आधुनिकीकरणकार्यक्रमों को सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत संरचनाओं को विकसित करने की आवश्यकता है. इसके अलावा, हम हमारे क्षेत्र में स्थिरता और शांति सुनिश्चित करने के लिए समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के साथ भी साझेदारी कर रहे हैं.
बता दें, जनरल बिपिन रावत एक जनवरी को प्रमुख रक्षा अध्यक्ष बने ताकि सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना के कामकाज में समन्वय स्थापित किया जा सके और देश की सैन्य ताकत को और मजबूती दी जा सके. सीडीएस के गठन का मुख्य उद्देश्य सेना की कमानों को पुनर्गठित करना है ताकि संयुक्त अभियानों के दौरान संसाधनों का अधिकतम इस्तेमाल किया जा सके.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल मई में रक्षा क्षेत्र में कई सुधार उपायों की घोषणा की जिसमें भारत निर्मित सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए अलग से बजट निर्धारित करना, ऑटोमेटिक रूट के तहत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करना और हर वर्ष ऐसे हथियारों की सूची बनाना जिन्हें आयात की अनुमति नहीं दी जाएगी, शामिल हैं.
रक्षा मंत्री ने अगस्त में घोषणा की थी कि भारत 101 हथियारों और सैन्य साजो सामान का आयात 2024 तक रोकेगा जिसमें परिवहन विमान, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, परंपरागत पनडुब्बियां, क्रूज मिसाइल और सोनार प्रणाली शामिल हैं. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और कई अन्य देशों के साथ 2020 में भारत के रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग में भी काफी विस्तार हुआ.
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
