155 एमएम/39-कैलिबर वाले इन हॉवित्जर्स को हेलिकॉप्टर्स में स्लिंग लोड किया जा सकता है और तेजी से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पहुंचाया जा सकता है। भारत ने नवंबर 2016 में अमेरिका से 750 मिलियन डॉलर में 145 हॉवित्जर का समझौता किया था। दूसरे अधिकारी ने कहा पूर्वी क्षेत्र में एम777 तैनात करना गेम चेंजर साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए इन हॉवित्जर्स को मिशन के दौरान आसानी से तैनात किया और हटाया जा सकता है। हॉवित्जर्स लाइट आर्टिलरी रेजिमेंट का हिस्सा होंगे।’ हॉवित्जर्स 24-30 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकता है। चीन के करीब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हॉवित्जर्स को तुरंत तैनात किया जा सकता है।
यह अपने बेहतर बुनियादी ढांचे की वजह से हथियारों, उपकरणों और सैनिकों को जल्द पहुंचा सकता है। एक अधिकारी ने कहा, ‘यह निश्चित रूप से एक बहुत जरूरी क्षमता उन्नयन है। भारी तोपों को ले जाना आसान नहीं है। तेजू (82 माउंटेन ब्रिगेड का मुख्यालय) की फॉरवर्ड पोस्ट तक पहुंचने पर जवानों को दो दिन का समय लगता है।’
तेजू किबिथु से 250 किमी दक्षिण में स्थित है जो कि एलएसी के पास है। एम777 सेना की फील्ड आर्टिलरी रेशनालाइजेशन प्लान (एफएआरपी) का एक प्रमुख घटक है, जिसे 1999 में मंजूरी दी गई थी। 50,000 करोड़ के एफएआरपी योजना में ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड गन, ट्रक-माउंटेड गन सिस्टम, टोड आर्टिलरी गन और व्हील्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड गन सहित नई 155 एमएम की हथियारों का खाका बनाया गया था।
एम 777 होवित्जर तोप की विशेषता