भारतीयों में पहले से ही विद्यमान है हर्ड इम्युनिटी से अधिक कोरोना रोधी शक्ति, जानें कैसे

 कोरोना के पीक (चरम) बिंदु को लेकर भारत में चर्चाएं और अफवाहें जोरों पर हैं। कोरोना ग्राफ पर इस रहस्यमयी उच्चतम बिंदु से यदि हम नीचे आ भी गए, तो संक्रमण धड़ाम से खत्म नहीं हो जाएगा। बहरहाल, भारत में कोरोना के चरम का अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। इसको अमेरिकन ग्राफ के संदर्भ में देखें तो पता चलता है कि वहां जुलाई में ही कोरोना अपने उच्चतम स्तर को छूकर निकल चुका है। जबकि अगस्त और सितंबर में उसका ग्राफ तेजी से ढलान पर है। यानी कि हमको भी संक्रमण के स्थिर बिंदु को समझने के लिए दीर्घ अवधि का आंकड़ा चाहिए होगा, क्योंकि अभी तक तो मामले रोजाना बढ़ ही रहे हैं। हालांकि यह एक लाख के आस-पास ही बना हुआ है, मगर कोरोना के नए मामलों को स्थिर मान लेना या ढलान शुरू होना मान लेना थोड़ा जल्दबाजी होगी।

संक्रमण की संख्या के बजाय मौतों की घटती दर और रिकवरी रेट बेहद चकित करने वाली है। इससे भी ज्यादा आनंद इस बात पर हो रहा है कि भारत में हर्ड इम्युनिटी से ज्यादा कोरोना रोधी शक्ति लोगों में पहले से ही विद्यमान है। यह शक्ति उनके शरीर की कोशिकाओं में मौजूद एक्स क्रोमोसोम के जीन एसीई-2 रिसेप्टर (गेटवे) से मिलती है। दरअसल, इस जीन पर चल रहे म्यूटेशन वायरस को कोशिका में प्रवेश से रोकते हैं।

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